योगी ने किया अपने ही मंत्रियों की नाक में दम, अफसर नहीं सुन रहे.. BJP कैबिनेट मंत्री की चिठ्ठी तक रोने लगी..

योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री और औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ ने प्रदेश की नौकरशाही पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक तीखा पत्र लिखा है। मंत्री नंदी ने नौकरशाहों पर उनके काम में लगातार बाधा डालने, नीतियों की अवहेलना करने और फाइलों को गायब करने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। यह पत्र न सिर्फ प्रशासनिक कामकाज की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि सत्ता के भीतर की गहरी खींचतान का भी संकेत देता है।

अधिकारियों पर आदेश नहीं मानने और मनमानी का आरोप

नंद गोपाल नंदी ने पत्र में उल्लेख किया है कि बीते दो वर्षों से विभागीय फाइलें बार-बार मांगने के बावजूद अधिकारियों ने उन्हें उपलब्ध नहीं कराया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने इसका कारण पूछा तो विभाग के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर फाइलें रोकी जा रही हैं। मंत्री ने इस मामले में 7 अक्टूबर 2023 को सीएम कार्यालय को एक सूची भेजी थी। इसके बाद 29 अक्टूबर को सीएम ऑफिस से सप्ताह भर के भीतर फाइलें प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए गए, परंतु 6 महीने बाद भी फाइलें उपलब्ध नहीं कराई गईं।

फाइलें डंप कर रहे अधिकारी, नियमों को ताक पर रखकर ले रहे निर्णय

मंत्री नंदी ने आरोप लगाया कि कुछ वरिष्ठ अधिकारी जानबूझकर फाइलें अपने स्तर पर मंगवाकर डंप कर रहे हैं, जिससे विभागीय कार्य बाधित हो रहा है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि कई प्रस्ताव नियम विरुद्ध होने के बावजूद अधिकारियों द्वारा पारित किए जा रहे हैं। इस तरह, कुछ खास लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए नीतियों को दरकिनार किया जा रहा है।

अनियमितताओं की जांच के निर्देश, रिपोर्ट तलब

पत्र में मंत्री ने कुछ मामलों की गंभीर अनियमितताओं का भी उल्लेख किया, जिसके आधार पर उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इन आरोपों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है और सूत्रों के अनुसार, शीर्ष स्तर पर अधिकारी जवाब तैयार कर रहे हैं। यह मामला अब केवल मंत्री बनाम नौकरशाही नहीं रह गया, बल्कि इसकी गूंज शासन प्रशासन में स्पष्ट रूप से सुनी जा रही है।

कामकाज के बंटवारे की फाइल भी ‘गायब’

मंत्री नंदी ने खुलासा किया कि तीन वर्ष पूर्व विभागीय कामकाज के बंटवारे के लिए सक्षम स्तर से निर्देश दिए गए थे, लेकिन आज तक उस निर्देश की फाइल ही गायब है। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही और मनमानी प्रशासनिक पारदर्शिता पर गहरा प्रश्नचिन्ह लगाती है।

एक जैसे मामलों में भेदभाव

पत्र में यह भी कहा गया कि कुछ मामलों में एक जैसी परिस्थितियों के बावजूद भेदभावपूर्ण निर्णय लिए गए। किसी को लाभ पहुंचाया गया तो किसी का केस खारिज कर दिया गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी को हटा दिया गया, जो इस पूरे मामले की गंभीरता को उजागर करता है।

 

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