UP: मोहर्रम जुलूस में पुलिस पर भड़की भीड़! वजह जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान – वायरल वीडियो

नानपारा कस्बे में यौमे आशूरा के अवसर पर निकाले गए मोहर्रम जुलूस में अचानक तनाव फैल गया, जब शिया समुदाय द्वारा हाथों में ईरानी धर्मगुरु अयातोल्लाह के पोस्टर लिए मातम जुलूस निकाला गया। उसी बीच एक उपनिरीक्षक (दारोगा) कथित तौर पर पोस्टर पर लाठी चला देता है और जंजीर को ‘हथियार’ बताया जाता है, जिसके बाद मामला विवादित हो गया—और जुलूस रोकना पड़ गया।

पोस्टर पर लाठी क्यों चली? घटना का क्रम

रविवार शाम करीब 6:30 बजे जुलूस निकाला गया, जिसमें शिया श्रद्धालु मातम कर रहे थे और हाथों में कमा–जंजीर एवं अयातोल्लाह के पोस्टर लिए हुए थे।

नानपारा पुलिस बल की मौजूदगी में, राजा बाजार क्षेत्र के उपनिरीक्षक पर आरोप लगा कि उन्होंने पोस्टर पर लाठी से हमला किया और जंजीर को हथियार बताकर रोकने की कोशिश की।

इसके बाद शिया समुदाय के लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए और भारी आक्रोश जताया।

जुलूस रुका, प्रशासन ने किया समझौता

गुस्साए श्रद्धालुओं के प्रदर्शन के बाद जुलूस रोकना पड़ा।

एसडीएम लालधर यादव एवं सीओ प्रद्युम्न सिंह मौके पर पहुँचे, उन्होंने तीन दिनों में उपनिरीक्षक के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर जुलूस मनाए गए इमामबाड़े की ओर से पुनः शुरू हुआ—लगभग 45 मिनट बाद।

प्रशासन का बयान

सीओ प्रद्युम्न सिंह के अनुसार, “पुलिस केवल भीड़ को नियंत्रित कर रही थी।”

अधिकारियों ने कहा कि जुलूस फिर से शुरू हो सका क्योंकि प्रशासन ने समझौतावादी रवैया अपनाया और मामले को शांतिपूर्ण रूप से हल करने की कोशिश की।

विवादित पहलू और सामाजिक संवेदनशीलता

यह घटना कई संवेदनशील मुद्दों को छूती है:

धार्मिक भावनाओं का अपमान – शिया समुदाय को अपने धार्मिक प्रतीकों पर पुलिसिया कार्रवाई से गहरा आघात पहुँचा।

समानुपात और संवैधानिक अधिकार – शांति-पूर्वक धार्मिक अनुष्ठानों पर लाठी चलाना संवैधानिक आदर्शों के खिलाफ माना जा सकता है।

संवाद और सहिष्णुता का सवाल – प्रशासनिक समझदारी और जल्दबाजी में लिए गए विकल्पों ने ऐसे भावनात्मक मसलों को और तीखा बना दिया।

 

Related Articles

Back to top button