यूपी की ये घटना हिलाकर रख देगी.. एक ही परिवार में 18 साल में 10 मौत! क्लस्टर सुसाइड या कोई डरावाना राज?

गांव में रविवार को उस समय सनसनी फैल गई जब 18 वर्षीय जितेंद्र का शव गांव के बाहर एक जामुन के पेड़ से लटका हुआ पाया गया। वह अपनी ही बहन के दुपट्टे से फांसी पर लटका मिला। ग्रामीणों ने जब यह दृश्य देखा तो चीख-पुकार मच गई। बेवर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
एक नहीं, 18 साल में 10 बार टूटी यह परिवारिक कड़ी
जितेंद्र की मौत कोई अलग मामला नहीं है। मात्र 21 दिन पहले उसके चाचा ने आत्महत्या की थी, और इससे चार महीने पहले उसकी बहन ने भी जान दे दी थी। पिछले 18 वर्षों में इस परिवार के कुल 10 सदस्य आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें महिलाएं, पुरुष और किशोर सभी शामिल हैं।
आखिर क्यों हो रही हैं ये मौतें? मानसिक बीमारी या कोई दबाव?
इस सवाल का जवाब प्रशासन और समाज दोनों को परेशान कर रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, परिवार के कुछ सदस्यों का व्यवहार वर्षों से असामान्य था—वे चुपचाप रहते थे और किसी से खुलकर बात नहीं करते थे। यह बात संदेह को जन्म देती है कि कहीं कोई गहरा पारिवारिक, मानसिक या सामाजिक दबाव तो नहीं?
जांच में जुटी पुलिस: तांत्रिक प्रभाव से लेकर आर्थिक तंगी तक की पड़ताल
बेवर थाने की पुलिस ने पूरे परिवार की आत्महत्याओं की कड़ी को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू कर दी है। पुलिस द्वारा परिवार के जीवित सदस्यों से पूछताछ की जा रही है। तांत्रिक गतिविधि, डिप्रेशन, घरेलू कलह और आर्थिक तंगी जैसे संभावित कारणों की गहराई से जांच की जा रही है।
विशेषज्ञों की राय: यह हो सकता है ‘क्लस्टर सुसाइड’ का मामला
मनोवैज्ञानिक इसे “Cluster Suicide” कह रहे हैं—एक ऐसा मानसिक पैटर्न जिसमें किसी समूह या परिवार में एक के बाद एक आत्महत्या होती है और इसका प्रभाव अन्य सदस्यों पर भी पड़ता है। मानसिक रूप से कमज़ोर या अकेले महसूस कर रहे सदस्य इस चक्र में फंस सकते हैं।
क्या आत्महत्या नहीं बल्कि “क्लस्टर मर्डर” है ये सिलसिला?
जैसे-जैसे इस परिवार की मौतों की फेहरिस्त लंबी होती जा रही है, वैसे-वैसे एक और आशंका गहराती जा रही है — क्या ये सब आत्महत्या नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध “क्लस्टर मर्डर” है? कुछ ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने लंबे समय में एक ही परिवार के इतने सदस्य अगर एक-एक कर मौत को गले लगाते हैं, तो यह मात्र संयोग नहीं हो सकता। कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी ने जानबूझकर मानसिक दबाव, डर या किसी पारिवारिक रहस्य को हथियार बनाकर ये हत्याएं आत्महत्या का रूप दे दी हों? पुलिस इस एंगल की भी गंभीरता से जांच कर रही है।
समाज के लिए चेतावनी: चुप मत रहिए, मदद ज़रूर लीजिए
यह घटना एक गहरी सीख देती है—कि मानसिक पीड़ा को कभी हल्के में न लें। अगर आपके आस-पास कोई अकेला महसूस करता है, डिप्रेशन में है या आत्महत्या की बात करता है, तो उस पर ध्यान दें। समय रहते मदद मिलना ज़रूरी है।