Video: इटावा में अब ब्राह्मण कथावाचक की पिटाई: पड़ा मिर्गी का दौरा.. समझा नशेड़ी, पुलिस ने भी बरसाईं लाठियां

उत्तर प्रदेश के जिला इटावा के जसवंतनगर क्षेत्र में एक मार्मिक और चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज की संवेदनहीनता और पुलिस की अमानवीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक कथावाचक, जो मिर्गी से पीड़ित है, को पहले ग्रामीणों ने ‘नशेड़ी’ समझ कर पीटा और फिर जब पुलिस उसे मौके से हटाने आई, तब उन्होंने भी बिना सच्चाई जाने लाठियों से पीट दिया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

मिर्गी का दौरा पड़ा, भीड़ ने समझा नशा

बता दें कि घटना जनकपुर गांव की है जहां कथा कार्यक्रम के दौरान कथावाचक ‘पंकज उपाध्याय’ को अचानक मिर्गी का दौरा पड़ गया। वह चारपाई से नीचे गिर पड़े। इस दृश्य को देखकर ग्रामीणों ने उन्हें नशे में धुत मान लिया और उन्हें गालियां देने के साथ मारपीट शुरू कर दी। कोई भी व्यक्ति उनके स्वास्थ्य की हालत समझने को तैयार नहीं था।

पुलिस आई, पर संवेदनशीलता नहीं दिखी

वहीं, स्थानीय पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उम्मीद की गई थी कि वे पीड़ित की मदद करेंगे। लेकिन उल्टा हुआ। पुलिसकर्मी कथावाचक को जबरन उठाकर ले जाने लगे और इस दौरान उन्होंने भी लाठियों से पीटा। वायरल वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि कथावाचक को पुलिसकर्मी लाठी से मारते हुए दिख रहे हैं, जबकि वे पूरी तरह असहाय अवस्था में थे।

कथावाचक का स्वास्थ्य इतिहास

पीड़ित की पहचान टूंडला के भागवताचार्य के सहयोगी पंकज उपाध्याय के रूप में हुई है। उनके परिजनों के अनुसार, वे लंबे समय से मिर्गी की बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज दिल्ली के AIIMS अस्पताल में चल रहा है। घटना के समय वे कथा वाचन कर रहे थे, जब अचानक दौरा पड़ने से स्थिति बिगड़ गई।

पुलिस ने दी सफाई, पर सवाल कायम

जसवंतनगर कोतवाली प्रभारी ने मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कथावाचक को पीटा नहीं गया बल्कि वे दौरे के कारण गिर पड़े थे। उन्होंने दावा किया कि पंकज उपाध्याय मिर्गी के मरीज हैं और AIIMS से उनका इलाज चल रहा है। लेकिन वीडियो में पुलिस द्वारा किए गए बल प्रयोग के चलते पुलिस की इस सफाई पर सवाल उठने लगे हैं।

वायरल वीडियो से उभरी संवेदनशीलता की मांग

इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया है। सोशल मीडिया यूजर्स ने न केवल ग्रामीणों की संवेदनहीनता बल्कि पुलिस के व्यवहार पर भी नाराज़गी जताई है। सवाल यह है कि क्या किसी बीमार व्यक्ति को नशेड़ी समझकर पीटना और फिर पुलिस द्वारा बिना जांच पड़ताल के उसे मारना न्यायोचित है?

बीमारियों को लेकर जागरूकता की सख्त ज़रूरत

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना पर एक गंभीर सवाल है। मिर्गी जैसी बीमारी को लेकर समाज में अब भी जागरूकता की भारी कमी है। पुलिस और जनता दोनों को चाहिए कि किसी भी संदिग्ध स्थिति में मेडिकल इमरजेंसी की तरह सोचें, न कि अपराधी मान कर मारपीट करें। मानवता की सबसे बड़ी परीक्षा ऐसे ही मौकों पर होती है।

 

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