संभल जामा मस्जिद विवाद में अनोखा ट्विस्ट! नमाज़ पर रोक? 21 जुलाई को अदालत में होगी गरमा-गरम बहस

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है। मंदिर-मस्जिद विवाद के चलते अब यह मामला कानूनी मोड़ पर पहुंच चुका है। चंदौसी की सिविल कोर्ट में दाखिल याचिका में दावा किया गया है कि यह मस्जिद दरअसल एक प्राचीन ‘हरिहर मंदिर’ है। याचिका पर अगली सुनवाई 21 जुलाई को निर्धारित की गई है, जिससे मामले ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है।

‘हरिहर मंदिर’ है जामा मस्जिद

सिमरन गुप्ता नाम की एक महिला ने चंदौसी की सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि संभल की जामा मस्जिद वास्तव में ‘हरिहर मंदिर’ है। उनके अनुसार इस स्थल का विवादित दर्जा पहले से अदालत में स्पष्ट हो चुका है और इस स्थान पर मस्जिद के तौर पर धार्मिक गतिविधियाँ नहीं होनी चाहिए।

मस्जिद में नमाज़ पर रोक और स्थल को सील करने की मांग

याचिका में विशेष आग्रह किया गया है कि जब तक अदालत इस मामले में अंतिम निर्णय नहीं देती, तब तक जामा मस्जिद में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि — विशेष रूप से नमाज़ — पर रोक लगाई जाए। साथ ही, याचिका में मांग की गई है कि इस स्थल को जिलाधिकारी की निगरानी में सील किया जाए ताकि किसी प्रकार का तनाव उत्पन्न न हो।

21 जुलाई को होगी अगली सुनवाई

चंदौसी की सिविल कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए 21 जुलाई 2025 को सुनवाई की तारीख तय की है। अब इस दिन तय होगा कि अदालत प्राथमिक स्तर पर याचिका की मांगों को स्वीकार करेगी या नहीं। इस सुनवाई पर स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार की भी निगाहें टिकी हुई हैं।

स्थानीय माहौल और प्रशासन की नजर

संभल जैसे संवेदनशील जिले में इस प्रकार के धार्मिक दावे और कानूनी प्रक्रिया से क्षेत्र में तनाव की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन ने हालांकि अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, पर सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन सतर्क है।

क्या है ‘हरिहर मंदिर’ का दावा?

इस याचिका में ऐतिहासिक दस्तावेजों और मानचित्रों के आधार पर यह दावा किया गया है कि मस्जिद से पहले वहां ‘हरिहर मंदिर’ मौजूद था, जिसे मुगल काल में मस्जिद में बदल दिया गया। हालांकि यह दावा ऐतिहासिक रूप से विवादास्पद और पूरी तरह साबित नहीं है, लेकिन अब न्यायालय में इसकी समीक्षा की जाएगी।

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