मुसीबत में पूर्व MLC डॉ. सरोजिनी अग्रवाल की बेटी शिवानी ! CBI की ताबड़तोड़ छापेमारी, जानिए पूरा मामला

CBI की छापेमारी ने NCR इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, मेरठ की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। फर्जी फैकल्टी, नकली मरीज और बायोमेट्रिक छेड़छाड़ के जरिए मेडिकल कॉलेज की मान्यता हासिल करने का बड़ा खेल उजागर हुआ है। इस पूरे मामले में पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल की बेटी डॉ. शिवानी अग्रवाल सहित 35 नामजद और कई अज्ञात लोगों के खिलाफ CBI ने केस दर्ज किया है।
मान्यता के लिए फर्जीवाड़ा और रिश्वत
CBI ने अपनी प्रारंभिक जांच में खुलासा किया कि NCR मेडिकल कॉलेज की मान्यता बढ़वाने के लिए फर्जीवाड़े का सहारा लिया गया। यहां MBBS की सीटें 150 से बढ़ाकर 200 करने का आवेदन किया गया था। इसके लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के सामने झूठे दावे किए गए। CBI के अनुसार, कॉलेज में फर्जी फैकल्टी की नियुक्ति दिखाई गई, काल्पनिक मरीजों का इलाज दिखाया गया और बायोमेट्रिक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की गई। निरीक्षण के दौरान NMC को गुमराह करने के लिए सबूतों में हेराफेरी की गई। इसके बदले रिश्वत की पेशकश भी की गई।
डॉ. शिवानी अग्रवाल पर गंभीर आरोप
CBI ने 30 जून को डॉ. सरोजिनी की बेटी और कॉलेज की सहायक प्रबंध निदेशक डॉ. शिवानी अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया। डॉ. शिवानी पर मेडिकल कॉलेज की मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत देने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। CBI की इस कार्रवाई से उनकी मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।
लखनऊ समेत 40 स्थानों पर CBI की छापेमारी
CBI ने इस घोटाले के तहत देशभर में 40 स्थानों पर छापेमारी की। इसमें मेरठ के बेगमपुल स्थित डॉ. सरोजिनी अग्रवाल का आवास और खरखौदा स्थित NCR मेडिकल कॉलेज भी शामिल रहे। नौ घंटे तक चली इस कार्रवाई में कॉलेज से संबंधित दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त किए गए।
डॉ. सरोजिनी का दावा
पूर्व एमएलसी डॉ. सरोजिनी अग्रवाल ने मीडिया से बात करते हुए दावा किया कि कॉलेज में 150 सीटें पहले से स्वीकृत हैं और 50 सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन किया गया था। उन्होंने कहा कि NMC की टीम निरीक्षण के लिए आई थी और रिपोर्ट में सब कुछ मानक के अनुसार सही बताया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि CBI को उनके आवास से कोई आपत्तिजनक दस्तावेज नहीं मिले।
सीबीआई का आरोप: फर्जी फैकल्टी
CBI ने बताया कि यह सिर्फ NCR मेडिकल कॉलेज तक सीमित मामला नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय स्तर पर फैले नेटवर्क की साजिश का हिस्सा है। इस नेटवर्क में स्वास्थ्य मंत्रालय, NMC के अधिकारी, निजी मेडिकल कॉलेज, दलाल और बिचौलिए शामिल हैं। निरीक्षण की पूर्व सूचना कॉलेजों को दी जाती थी, जिससे वे फर्जी फैकल्टी और नकली छात्रों को पेश कर पाते थे।
इन संस्थानों और लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज
CBI की FIR में जिन प्रमुख लोगों और संस्थानों के नाम हैं, वे इस प्रकार हैं:
- मयूर रावल, रजिस्ट्रार, गीतांजलि विश्वविद्यालय, उदयपुर
- आर रणदीप नायर, टेकन्फी सॉल्यूशन्स प्रा. लि., नई दिल्ली
- रवि शंकर महाराज, श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट, रायपुर
- डीपी सिंह, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, मुंबई
- डॉ. मंजप्पा सीएन, मांड्या इंस्टीट्यूट, कर्नाटक
- डॉ. सतीश, बंगलूरू
- डॉ. चैत्रा एमएस, डॉ. पी. रजनी रेड्डी, डॉ. अशोक शेल्के (NMC निरीक्षण टीम सदस्य)
- डॉ. हरि प्रसाद, डॉ. रामबाबू, डॉ. कृष्ण किशोर (आंध्रप्रदेश, तेलंगाना)
- जोसफ कोमारेड्डी, फादर कोलंबो इंस्टीट्यूट, वारंगल
- शिवानी अग्रवाल, NCR मेडिकल कॉलेज, मेरठ
- स्वामी भक्तवत्सल दास, स्वामीनारायण इंस्टीट्यूट, गुजरात
- अन्य अज्ञात संस्थान और लोग