Patanjali vs Dabur: पतंजलि को HC की चेतावनी ! डाबर के खिलाफ ऐड बनाना पड़ा भारी, लगी इस चीज पर रोक

दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी किया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि पतंजलि कंपनी अब डाबर च्यवनप्राश को लेकर कोई भ्रामक, नकारात्मक या प्रतिद्वंद्वी को बदनाम करने वाला विज्ञापन प्रसारित नहीं करेगी। यह आदेश डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आया है।

डाबर का आरोप

डाबर इंडिया ने अपनी याचिका में हाईकोर्ट को बताया कि पतंजलि अपने विज्ञापनों के माध्यम से डाबर के च्यवनप्राश उत्पाद को ‘साधारण’ बताकर उसकी ब्रांड छवि को नुक़सान पहुंचा रही है। याचिका में कहा गया कि पतंजलि ने दावा किया कि उसका च्यवनप्राश 51 से अधिक जड़ी-बूटियों से बना है, जबकि वास्तव में इसमें केवल 47 जड़ी-बूटियां हैं। इसके साथ ही डाबर ने आरोप लगाया कि पतंजलि के उत्पाद में पारा (Mercury) जैसे हानिकारक तत्व पाए गए हैं, जो खासकर बच्चों के लिए खतरा बन सकते हैं।

कोर्ट ने माना डाबर का पक्ष

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्णा की अध्यक्षता वाली पीठ ने की, जिसमें डाबर इंडिया को महत्वपूर्ण अंतरिम राहत दी गई है। अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पतंजलि अब डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कोई भी भ्रामक, असत्य या नकारात्मक विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेगा। कोर्ट ने यह भी माना कि डाबर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई 2025 को होगी।

 हानिकारक प्रचार से हो रहा नुकसान

डाबर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप सेठी ने कहा कि पतंजलि यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि वही एकमात्र असली आयुर्वेदिक च्यवनप्राश बनाता है, जबकि डाबर जैसे दशकों पुराने ब्रांड को ‘साधारण’ करार दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि कोर्ट द्वारा दिसंबर 2024 में समन जारी होने के बावजूद, पतंजलि ने सिर्फ एक सप्ताह में 6,182 बार भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए। डाबर ने बताया कि उसकी च्यवनप्राश श्रेणी में 61.6% बाजार हिस्सेदारी है, और इस तरह का प्रचार उसकी ब्रांड वैल्यू को सीधे प्रभावित करता है।

पतंजलि का पक्ष

पतंजलि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत मेहता ने अदालत में सभी आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि पतंजलि के सभी उत्पाद आयुर्वेदिक मानकों के अनुसार हैं और उनमें कोई भी हानिकारक तत्व नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका उत्पाद पूरी तरह से मानव उपभोग के लिए सुरक्षित है। पतंजलि का यह भी कहना है कि उनके विज्ञापनों का उद्देश्य किसी ब्रांड को बदनाम करना नहीं, बल्कि अपने उत्पाद की गुणवत्ता को उजागर करना है।

क्या कहता है यह मामला ब्रांड कॉम्पिटिशन के बारे में ?

यह मामला केवल दो ब्रांड्स के बीच की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह भारतीय बाज़ार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और विज्ञापन नैतिकता को लेकर भी महत्वपूर्ण संकेत देता है। एक ओर जहां पतंजलि अपने उत्पाद की आयुर्वेदिक शुद्धता और विविधता को प्रचारित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर डाबर, जो वर्षों से उपभोक्ताओं का विश्वास जीतता आया है, अपने ब्रांड की साख को बचाने के लिए कानूनी राह अपना रहा है।

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