कांवण यात्रा 2025: जिस ढाबे पर पैंट उतारकर चेक किया.. उसी पर हो गई FIR, मालिक और बेटे पर दर्ज मामला

मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों की ‘धार्मिक पहचान’ की जांच को लेकर शुरू हुआ विवाद अब राजनीतिक रंग ले चुका है। ढाबा मालिक, कर्मचारियों और स्वयंभू पहचान जांचने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद इस मुद्दे पर बीजेपी, सपा और AIMIM जैसे बड़े राजनीतिक दल आमने-सामने आ गए हैं।
ढाबे के मालिक पर हमला
मामला तब गरमाया जब मुजफ्फरनगर के पंडित जी वैष्णो ढाबा के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र ने शिकायत दर्ज कराई कि ढाबे के मालिक सनव्वर, उसके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों ने उनके साथ मारपीट की। धर्मेंद्र का आरोप है कि उन्हें सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने खुलासा किया कि हिंदू नाम वाले इस ढाबे को एक मुस्लिम व्यक्ति चला रहा है। इस शिकायत के आधार पर न्यू मंडी थाने में IPC की संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
6 लोगों को नोटिस
विवाद की शुरुआत उस वक्त हुई जब स्वामी यशवीर महाराज की टीम ने बिना प्रशासनिक अनुमति के कांवड़ मार्ग पर स्थित ढाबों के मालिकों की पहचान जांचनी शुरू कर दी। इन लोगों ने दस्तावेजों की मांग की और कथित रूप से एक ढाबे के कर्मचारी से जबरन पैंट उतरवाने की कोशिश की। पुलिस ने महाराज की टीम से जुड़े सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश को नोटिस जारी कर 3 दिन में थाने में पेश होने का आदेश दिया है। ये सभी बघरा स्थित आश्रम से जुड़े हुए हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
घटना से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनमें टीम के सदस्य ढाबा मालिकों से धर्म बताने की मांग कर रहे हैं। इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और सपा नेता एसटी हसन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। एक कर्मचारी ने आरोप लगाया कि स्वामी यशवीर की टीम ने उसकी पैंट उतरवाने की कोशिश की थी, जिसे महाराज ने खारिज किया है।
सरकारी नियम और धार्मिक पहचान का विवाद
उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल आदेश दिया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी भोजनालयों को अपने मालिक, संचालक और प्रबंधक का नाम और पता साफ-साफ प्रदर्शित करना होगा। इस साल उत्तराखंड सरकार ने भी खाद्य लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाणपत्र सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने का आदेश दिया है। इसी नियम को लेकर अब ढाबों की धार्मिक पहचान को लेकर विवाद गहरा गया है।
राजनीतिक बयानबाजी
सपा नेता एसटी हसन ने इस जांच को “आतंकवाद की तरह का व्यवहार” बताया और कहा कि भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में ऐसी गतिविधियां शर्मनाक हैं। वहीं, BJP प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि सवाल उन लोगों पर उठना चाहिए जो अपने असली नाम छिपाते हैं। उन्होंने इसे तीर्थ यात्रियों की सुरक्षा का मुद्दा बताया।
AIMIM प्रमुख ओवैसी ने पूछा – क्या कांवड़ यात्रा अभी शुरू हुई है? पिछले सालों में भी शांतिपूर्ण यात्रा होती रही है, अब अचानक धर्म की जांच क्यों? उन्होंने पुलिस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह आरोपियों को नहीं, बल्कि पीड़ितों को परेशान कर रही है।
प्रशासन का रुख और कानूनी जांच जारी
पुलिस का कहना है कि यह मामला गंभीर है और वीडियो फुटेज के आधार पर अन्य लोगों को भी नोटिस भेजा जा सकता है। न्यू मंडी थाना प्रभारी दिनेश चंद भागल ने बताया कि सभी आरोपों की कानूनी जांच की जा रही है। प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यात्रा मार्ग पर अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
धार्मिक पहचान से कानून-व्यवस्था की चुनौती
ढाबों की धार्मिक पहचान को लेकर शुरू हुई यह कार्रवाई अब राज्य स्तर की कानून-व्यवस्था, धार्मिक असहिष्णुता और राजनीतिक ध्रुवीकरण का मुद्दा बन चुकी है। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इसे कानूनी दायरे में कैसे संभालता है और क्या वाकई यात्रा की पवित्रता बनी रह पाएगी या यह मुद्दा और भड़कता जाएगा।