“ब्राह्मण मेरा दुश्मन है” कहकर थानेदार ने ऑटो चालक से चटवाया थूक.. बुरी तरह पीटा, Video Viral होते ही.. बवाल!

बिहार के शेखपुरा जिले में पुलिस बर्बरता और जातीय अपमान का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आरोप है कि मेहुस थाना प्रभारी प्रवीण चंद्र दिवाकर ने साइड न देने पर एक ऑटो चालक को न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि उसकी जाति पूछकर अपमानजनक टिप्पणी करते हुए थूक चटवाने तक को मजबूर कर दिया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया।

वीडियो वायरल होते ही खुली पोल, विधायक ने उठाई आवाज

इस शर्मनाक घटना का वीडियो सामने आने के बाद क्षेत्रीय विधायक सुदर्शन कुमार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल जातीय द्वेष का प्रतीक है, बल्कि पुलिस तंत्र की क्रूरता का भी उदाहरण है। विधायक ने शेखपुरा एसपी से तत्काल कार्रवाई की मांग की, जिसके बाद आरोपी थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया।

क्या हुआ था उस दिन?

घटना शुक्रवार शाम करीब 7:30 बजे की है। टेंपो चालक प्रदुम्न कुमार रोज की तरह अपनी सवारी उतारकर घर लौट रहा था। इसी दौरान बुलेट बाइक पर सवार थाना प्रभारी प्रवीण चंद्र दिवाकर ने उसे ओवरटेक करने के लिए हॉर्न दिया। ऑटो साइड न देने पर नाराज थानाध्यक्ष ने रास्ते में ही उसे रोक लिया और गाली-गलौज करते हुए लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद उन्होंने अन्य पुलिसकर्मियों को भी बुलाया और युवक को थाने ले जाकर पिटाई जारी रखी।

जाति पूछकर अपमान, थूक चटवाया

पीड़ित प्रदुम्न कुमार ने अपने बयान में बताया कि पिटाई के दौरान थानाध्यक्ष ने उसकी जाति पूछी और जब उसने ब्राह्मण बताया, तो थाना प्रभारी ने कहा, “ब्राह्मण मेरा दुश्मन है।” इसके बाद उससे जमीन पर थूक चटवाया गया और माफीनामा लिखवाया गया।

थानेदार सस्पेंड, जांच के आदेश

घटना के सामने आते ही एसपी बलिराम चौधरी ने संज्ञान लेते हुए थानाध्यक्ष को तत्काल सस्पेंड कर लाइन हाजिर कर दिया है। मामले की जांच शुरू कर दी गई है। एसपी ने कहा कि वीडियो की जांच की जा रही है और दोषी पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

कानूनी और सामाजिक पहलू

इस घटना ने न केवल पुलिस तंत्र की बर्बरता को उजागर किया है, बल्कि जातीय भेदभाव की उस मानसिकता को भी सामने लाया है जो संविधान और कानून के खिलाफ है। मानवाधिकार आयोग और सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना की निंदा की है। ऐसे मामलों में त्वरित न्याय और दोषियों पर सख्त कार्रवाई न की गई तो यह प्रवृत्ति और विकराल रूप ले सकती है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश, इंसाफ की मांग

घटना के बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि एक ब्राह्मण युवक के साथ यह हो सकता है, तो अन्य जातियों के लोगों की सुरक्षा की क्या गारंटी है? मोहल्लेवासियों ने थाने के सामने प्रदर्शन कर पीड़ित को न्याय देने की मांग की है।

शर्मनाक: जातीय आधार पर हिंसा

पुलिस प्रशासन का काम है सुरक्षा देना, न कि जातीय घृणा फैलाना या किसी को अपमानित करना। यह घटना साबित करती है कि जब वर्दी में बैठे लोग ही जातीय आधार पर हिंसा करेंगे, तो समाज में विश्वास की डोर कमजोर हो जाएगी। बिहार सरकार को इस मामले में मिसाल पेश करनी चाहिए ताकि कोई भी अफसर कानून से ऊपर न समझे।

 

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