राजद का बड़ा नेता हुआ ऑनलाइन ठगी का शिकार, 6 किश्तों में गए लाखों.. बस एक लालच में फंस गए नेताजी

बिहार के बेगूसराय जिले से एक चौंकाने वाली ठगी की घटना सामने आई है, जहां राजद के जिलाध्यक्ष मोहित यादव को सचिवालय में नौकरी दिलाने के नाम पर करीब 2.47 लाख रुपये का चूना लगाया गया। आरोपी को मंगलवार को वैशाली जिले से गिरफ्तार कर लिया गया है। ठगी का शिकार खुद एक वरिष्ठ नेता होना, राज्य में बढ़ते साइबर क्राइम पर सवाल खड़े करता है।

अनजान मैसेज से शुरू हुई ठगी की पटकथा

20 फरवरी को राजद जिलाध्यक्ष मोहित यादव को एक अनजान नंबर से मैसेज मिला, जिसमें उनके बेटे को सचिवालय में नौकरी दिलाने का दावा किया गया था। साथ ही इसके लिए “कुछ खर्च” करने की बात कही गई। नेता जी इस प्रलोभन में आ गए और ठग से संपर्क करने लगे।

पटना में मिलकर दिए 31 हजार रुपये

ठग ने 28 फरवरी को मोहित यादव को पटना के गांधी मैदान बुलाया। वहां एक लड़के को भेजा गया, जिसे 31,000 रुपये नकद देने को कहा गया। मोहित यादव ने बिना ज्यादा सवाल-जवाब के यह रकम सौंप दी। इसके बाद ठग ने प्रक्रिया में काम शुरू होने का झांसा दिया।

छह किस्तों में भेजे गए लाखों रुपये

इसके बाद ठग ने व्हाट्सऐप कॉलिंग के जरिए संपर्क बनाए रखा और विभिन्न कारणों से लगातार पैसे की मांग करता रहा।

  • 27 मार्च को 35,000 और 26,000 रुपये
  • 28 मार्च को 60,000 और 1.5 लाख रुपये
  • 30 मार्च को 80,000 रुपये

इस तरह कुल ₹2,47,000 की ठगी हो चुकी थी। ठग हर बार नया स्कैनर भेजता और ऑनलाइन पेमेंट करवा लेता।

अप्रैल में दर्ज हुआ मामला, पुलिस ने दिखाई सक्रियता

मोहित यादव को जब ठगी का एहसास हुआ, तब जाकर उन्होंने 9 अप्रैल को साइबर थाना में शिकायत दर्ज कराई। देर से की गई शिकायत के कारण पुलिस सिर्फ 71,000 रुपये ही होल्ड करा पाई। फिर भी पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की।

वैशाली से पकड़ा गया आरोपी, दो मोबाइल जब्त

साइबर पुलिस ने वैशाली जिले के हाजीपुर सदर थाना क्षेत्र के चकनूर गांव से प्रकाश कुमार, पिता नूनू राय को गिरफ्तार किया। आरोपी के पास से दो मोबाइल जब्त किए गए, जिसमें से एक एप्पल का महंगा स्मार्टफोन है। पुलिस का मानना है कि आरोपी इससे कई और लोगों को झांसे में ले चुका है।

आरोपी की चालाकी: सिर्फ व्हाट्सऐप कॉलिंग से करता था बात

साइबर डीएसपी इमरान अहमद के अनुसार, आरोपी बेहद शातिर साइबर अपराधी है। वह सिर्फ व्हाट्सऐप कॉलिंग और मैसेजिंग के जरिए बात करता था और इंटरनेट सर्वर को बदलकर आईपी ट्रैकिंग से बचता था। उसका मकसद पहले विश्वास जीतना और फिर बड़ी रकम ऐंठना होता था।

नेताओं तक को बना लिया शिकार

इस मामले ने यह दिखा दिया है कि अब नेता भी साइबर ठगों के निशाने पर हैं। आरोपी ने खुद को सरकारी नौकरी दिलाने वाला “सेटिंग वाला व्यक्ति” बताया और नेता के बेटे की नौकरी की लालसा का फायदा उठाया।

पुलिस कर रही अन्य पीड़ितों की तलाश

फिलहाल पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि क्या उसने अन्य जिलों या लोगों को भी इसी तरह ठगा है। साथ ही, उसके सह-साजिशकर्ताओं की पहचान करने में भी जुटी है।

सावधानी ही है सबसे बड़ा बचाव

विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के क्रेडिबिलिटी दिखाने वाले ठग बेहद चालाक होते हैं और “सरकारी नौकरी”, “लॉटरी”, “स्कीम” जैसे झूठे वादों से लोगों को फंसाते हैं। जनता को ऐसे किसी भी ऑफर पर बिना सत्यापन पैसा भेजने से बचना चाहिए।

आम आदमी हो या नेता, कोई भी ठगा जा सकता है

राजद नेता के साथ हुई ठगी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि साइबर अपराध अब किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं रह गया है। चाहे आम आदमी हो या नेता, लालच और भरोसे के फेर में कोई भी ठगा जा सकता है। ऐसे में जनता को सचेत रहने की जरूरत है और प्रशासन को साइबर ठगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

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