तिहाड़ जेल से निकलते ही मिली VIP सिक्योरिटी! आखिर क्यों शादिपुर ले जाया गया गैंगस्टर Neeraj Bawana?

दिल्ली हाईकोर्ट ने 1 जुलाई को हाई‑प्रोफाइल गैंगस्टर नीरज बवाना को सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक की कस्टोडियल पैरोल दी। तिहाड़ जेल में बंद बवाना को बीमार पत्नी से मिलने तथा उसका ऑपरेशन के लिए चिकित्सा सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हेतु अनुमति मिली। अदालत ने उसे केवल पत्नी और डॉक्टर से मिलकर ऑपरेशन के लिए सहमति देने तक सीमित किया।
क्यों लगाए गए 25+ पुलिसकर्मी? सुरक्षा की तीन लेयर
बावना पर करीब 30 आपराधिक मामले, जिनमें हत्या और फिरौती शामिल हैं। वह जेल के अंदर से भी गैंगस्टर किंगपिन के तौर पर सक्रिय रहा और जेल वैन में दो अंडरट्रायल की हत्या के आरोप में भी वह जेल में है ।
इन कारणों से पुलिस ने तिहाड़ जेल से 30 से अधिक पुलिसकर्मियों, SWAT वैन, वीडियो रिकॉर्डिंग और रूट क्लियरेंस के साथ सुरक्षा की तीन स्तरिय व्यवस्था की ।
कैसे हुई ट्रांज़िट प्रक्रिया?
सुबह 9:30–9:45 बजे तिहाड़ जेल में से बवाना को बाहर लाने की तैयारी हुई ।
उन्हें ब्लू पुलिस वैन और अश्वस्त वाहन काफिले में ले जाया गया, जिसमें विशेष रूप से ट्रैफिक व रूट सुरक्षा उपाय शामिल थे ।
फिरांगपुर स्थित RLKC मेट्रो हॉस्पिटल, शादिपुर में लगभग 10:30 बजे पहुंचाया गया, जहां केवल पत्नी और डॉक्टर से मिलने की इजाजत मिली ।
डॉक्टर से मिलने का मौका
बावना ने ICU में भर्ती पत्नी की स्थिति को देखा और ऑपरेशन के लिए सहमति ली। वीडियो में उनका लंगड़ाती चाल स्पष्ट दिखती है—संकेत है कि या तो उनकी स्थिति गंभीर है या वह चलने में असहज महसूस कर रहे थे ।
सुपरिन्टेंडेंट जेल को कोर्ट ने यह निर्देश भी दिए कि पैरोल के दौरान कोई और व्यक्ति ICU में मौजूद न हो, और केवल डॉक्टर व पत्नी ही मिले ।
शंका, संदिग्ध जन, और कड़ी निगरानी
पुलिस को ड्रग-गैंग लड़ाई की आशंका थी। रास्ते में दो संदिग्ध पुरुष—प्रवीण यादव (36) और नितिन यादव (32)—को अस्पताल में हिरासत में लिया गया। उन्होंने बताया कि केवल बावना को देखने आए थे ।
पैरोल खत्म, वापसी जेल
शाम 4 बजे पैरोल की अवधि समाप्त होते ही बवाना को तिहाड़ जेल वापस ले जाया गया।
गैंग-रिश्तों की संवेदनशीलता की वजह से, पुलिस ने संभव हर खतरे को काबू में रखने की तैयारी की थी—चाहे वह जेल में सक्रिय नेटवर्क हो या बाहरी ख़तरे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
सुरक्षा की उत्तम योजना: एक आरोपी की पैरोल, औसत नहीं—बल्कि बेहतरीन सुरक्षा रणनीति।
न्याय और मानवता का संतुलन: अपराधी को बीमार पत्नी से मिलने का अधिकार, लेकिन नियंत्रण में रखकर।
जवान दबंगई या व्यवस्थित व्यवस्था?: इस प्रक्रिया से पुलिस की प्रभावी तैयारी व कार्यकुशलता की झलक मिलती है।