जो मासूम इंजेक्शन देख कांपती, उसे कुत्तों ने नोच-नोचकर मार डाला.. भौंक में दब गई चीखें, शव देख परिजन दहशत में, देखें…

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के सोनहा थाना क्षेत्र के टेढींकुईयां गांव में रविवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। गांव के एक बाग में 10 वर्षीय नूर शबा उर्फ शब्बो का खून से लथपथ शव मिला, जिसे कुत्तों के झुंड ने घेर रखा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के शरीर पर 45 से अधिक गहरे जख्म मिले हैं, जिससे उसकी मौत की पुष्टि हुई।

जो बच्ची इंजेक्शन से डरती थी, उसका शरीर छलनी कर गए कुत्ते

मासूम नूरशबा बेहद शर्मीली और डरपोक स्वभाव की थी। बीमार होने पर भी डॉक्टर के पास इसलिए नहीं जाना चाहती थी कि कहीं इंजेक्शन न लग जाए। मां मैराजुन्निशा ने बताया कि उनकी बेटी इंजेक्शन के नाम से घबरा जाती थी। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, वही बच्ची कुत्तों के इतने भयानक हमले का शिकार हो गई कि उसका पूरा शरीर नोच-नोचकर छलनी कर दिया गया।

चीखती रही मासूम, लेकिन कुत्तों के भौंक में दब गई पुकार

ग्रामीणों का कहना है कि सुबह के समय उन्होंने कुत्तों के भौंकने की आवाजें सुनीं, लेकिन यह अंदाज़ा नहीं लगा पाए कि वे किसी इंसान पर हमला कर रहे हैं। कुत्तों के झुंड की आवाज इतनी तेज थी कि उसमें शब्बो की चीखें दब गईं। जब लोग मौके पर पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

इलाके में पहले से आतंक फैला रहे हैं कुत्तों के झुंड

यह पहली घटना नहीं है। टेढीकुइया गांव और आसपास के इलाकों में कई दिनों से कुत्तों का एक हिंसक झुंड आतंक मचाए हुए है। अलीनगर में भी बच्चों और बकरियों पर हमले हो चुके हैं। रविवार सुबह ही गांव के मो. हासिम के 7 वर्षीय बेटे मैनुद्दीन पर भी हमला हुआ। वह अपने दादा के साथ शौच के लिए गया था तभी कुत्तों ने उसे घेर लिया। चीखने पर ग्रामीणों ने उसे बचाया। मैनुद्दीन को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बस्ती में रहने को मजबूर परिवार

मृत बच्ची नूरशबा अपने परिवार के साथ मुंबई में रहती थी, लेकिन पिता गयासुद्दीन के काम पर बाहर जाने के बाद मां अपने बच्चों के साथ मायके टेढीकुईयां गांव में आकर रहने लगी थीं। बच्चों में चार बेटियां – नूर शबाना (12), नूर शबा (10), नूर फिजा (08), आफिजा (06) और एक बेटा कल्लू उर्फ आजम (1.5 साल) शामिल हैं। नूरशबा अपने भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर थी।

क्यों होते हैं कुत्ते इतने आक्रामक?

बस्ती के डिप्टी सीवीओ डॉ. बलराम चौरसिया के मुताबिक, कुत्ते अक्सर डर, भूख और इलाके की सुरक्षा के कारण आक्रामक हो जाते हैं। जब वे झुंड में होते हैं तो उनकी हिंसक प्रवृत्ति और बढ़ जाती है। इसके अलावा, अगर कुत्तों को रेबीज जैसी बीमारी हो या इंसानों द्वारा मारा-धमकाया गया हो तो वे हमले की ओर अधिक उग्र हो जाते हैं।

बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की अपील

डॉ. चौरसिया ने ग्रामीणों को जागरूक रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बच्चों को अकेले बाहर न भेजें, और यदि बाहर जाना हो तो दो-तीन के समूह में निकलें। खासकर सुबह और शाम के समय अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।

अगर कुत्ता काट ले तो क्या करें?

कुत्ते के काटने पर तुरंत यह कदम उठाएं:

  • घाव को साफ पानी और साबुन से अच्छे से धोएं।
  • घाव को साफ कपड़े या पट्टी से ढकें।
  • अगर खून बह रहा है तो उसे रोकने की कोशिश करें।
  • तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और जरूरी टीके लगवाएं।
  • घरेलू उपायों से बचें और केवल विशेषज्ञ की सलाह लें।

प्रशासन को सख्त कार्रवाई की जरूरत

इस दर्दनाक घटना ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के लिए पर्याप्त कदम उठाए गए हैं? मासूमों की जान जाने के बाद जागना कब तक जारी रहेगा? इस घटना ने सिर्फ एक परिवार नहीं, पूरे क्षेत्र को दहला दिया है।

 

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