गुरु’ बना कातिल! शिक्षक ने पुलिसकर्मी को गोली मारकर उतारा मौत के घाट, वजह जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान–विवाद की जड़ थी एक क्रिकेट मैच!

सुन्हैड़ा गांव में रविवार की शाम स्थानीय युवाओं के बीच क्रिकेट खेला जा रहा था। इसी दौरान पुलिस सिपाही अजय कुमार पंवार (उम्र 32) और सरकारी अध्यापक मोहित उपाध्याय के बीच उक्त मैच को लेकर विवाद हो गया था। बातचीत आगे बढ़ी, बातचीत बिगड़ी, और व्हाट्सएप ग्रुप चैट के माध्यम से बहस आगे बढ़ी। कुछ दिनों बाद 30 जून को मोहित ने संज्ञाहरण लगाया और जब अजय पैदल अपने घर के पास टहल रहे थे, तो उसने घात लगाकर उन्हें गोली मार दी।
वारदात की चौंकाने वाली बारीकियाँ
अजय, जो सहारनपुर में तैनात थे, छुट्टी पर गांव आए थे।
वारदात रविवार रात करीब 10:30 बजे हुई; मोहित ने घात लगाकर गोली मारी। गोली लगते ही अजय सड़क पर गिर पड़े।
घटना स्थल पर पहुंचे लोग उन्हें उपचार के लिए निकटतम अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पीड़ित व आरोपी की जानकारी
पीड़ित: अजय कुमार पंवार, एएसपी नरेंद्र प्रताप सिंह के अनुसार, 2011 में भर्ती, सहारनपुर में तैनात ।
आरोपी: मोहित उपाध्याय, उसी गांव के सरकारी विद्यालय में शिक्षक, वह भी सहारनपुर में तैनात था और महकमे में बैचमेट रहा ।
क्रिकेट से व्हाट्सएप तक
शुरुआती विवाद था: गांव के क्रिकेट मैच के दौरान मामूली कहासुनी।
इसके बाद दोनों के बीच व्हाट्सएप ग्रुप में गाली-गलौज हुई, जिससे टकराव गहरा गया।
पुलिस की कार्यवाही
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम भेजा और हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया।
आरोपी मोहित उपाध्याय इस समय फरार है, पुलिस उसकी त्वरित गिरफ्तारी की दावा कर रही है ।
स्थानीय माहौल और सवाल
गांव में सनसनी का माहौल है। स्थानीय लोगों में डर व्याप्त है क्योंकि यह विवाद खेल से शुरू होकर गोलीकांड में बदल गया। सवाल उठ रहे हैं — क्या यह ‘घरेलू मामूली विवाद’ खेल से उग्र होकर प्रथम स्तर की अपराध में तब्दील हुआ? और क्या व्यवस्था में कहीं कोई चूक तो नहीं हुई?
विश्लेषण और आगे की राह
यह मामला बताता है कि कैसे सामुदायिक विवाद समय रहते न सुलझने पर भयावह रूप ले सकता है।
एसपी और स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि वे ग्रामीण स्तर पर व्यापक सुरक्षा और तनाव नियंत्रण की रणनीति अपनाएँ।
साथ ही पुलिस‑शिक्षक संवाद प्रणाली, तनाव‑निवारण कार्यशालाओं और हार्मोनिक संबंधों के लिए गांवों में जागरूकता कार्यक्रम ज़रूरी हैं।
यह वारदात सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना नहीं, बल्कि ज़िला प्रशासन और सुरक्षा ढांचे के लिए गंभीर चेतावनी है। एक मामूली झगड़ा, अगर समय रहते सुधारा न जाए, तो जीवन तक को लील सकता है। मोहित उपाध्याय की जल्द गिरफ्तार से प्रशासन को इसका निवारण करना चाहिए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस पहल करनी चाहिए।