UP में SHO की चालाकी बेनकाब! खुद ही दर्ज की फर्जी FIR, फिर खुद ही सुलझाया केस – जानिए क्यों किया ऐसा ?

मिर्जापुर जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने कानूनी व्यवस्था की नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए। राजगढ़ थाने के SHO महेंद्र पटेल ने खुद ही फर्जी शिकायतें दर्ज करवाईं और बाद में उन्हें खुद ही सुलझाया, ताकि उनके थाने की रेटिंग बेहतर दिखे। इस चौंकाने वाले खुलासे के बाद SSP ने SHO को निलंबित कर दिया। ये पूरा मामला IGRS पोर्टल पर दर्ज शिकायतों की जांच के दौरान उजागर हुआ।

कैसे निकला मामला – ADG की सतर्कता

कुल मिलाकर, यह मामला तब प्रकाश में आया जब ADG, जोन वाराणसी ने IGRS (इलेक्ट्रॉनिक ग्रिवेंस रीड्रेसल सिस्टम) पर संदेह जताया। उन्होंने निर्देश दिए कि राजगढ़ पुलिस स्टेशन पर दर्ज शिकायतों की जांच हो, जहाँ पता चला कि महेंद्र पटेल ने खुद तीन फर्जी शिकायतें दर्ज करवाईं, जिन्हें बाद में खुद उनके अधीनस्थ ने निस्तारित किया।

क्या थीं ये शिकायतें?

जांच के दौरान खुलासा हुआ कि SHO ने जिन तीन शिकायतों को दर्ज कराया, उनमें शामिल थे: धमकी देने का मामला, गाली-गलौज
ये शिकायतें IGRS पर उनके खाते से दर्ज हुईं और फिर उसी थाने के दरोगा द्वारा मौके पर हल कर दी गईं।

खुलासा और निलंबन

शिकायतकर्ता और निस्तारकर्ता एक ही व्यक्ति — SHO महेंद्र पटेल — थे, जिससे सिस्टम को झांसा दिया गया। SSP मिर्जापुर ने तुरंत उन्हें गुरुवार को निलंबित कर दिया। SSP ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कार्रवाई थाना रैंकिंग में हेरफेर के उद्देश्य से की गई धोखाधड़ी की साजिश को रोकने के लिए की गई है।

अगली कार्रवाई और जांच

मड़िहान सीओ को जांच सौंपा गया है, जो इस पूरे मामले की गहराई से पड़ताल करेंगे।

SHO को क्रमशः निलंबित कर कार्यालय से अलग कर दिया गया है।

आगे संभावित विभागीय मुकदमेबाज़ी या अन्य जुर्माने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

पारदर्शिता कितनी जरूरी

यह खुलासा दर्शाता है कि डिजिटल शिकायत पोर्टल्स भी तब तक विश्वसनीय नहीं रह सकते, जब तक निगरानी और नैतिकता की कड़ी व्यवस्था व्यवस्था में मौजूद न हो। शिकायत प्रणाली की सच्ची उपयोगिता तभी सिद्ध होती है जब इंतिहा तक निष्पक्ष जांच और कार्रवाई की जाए।

मिर्जापुर SHO केस ने हमें यह सिखाया कि डिजिटल सिस्टम में भी मानवीय कपट हो सकता है। ऐसी स्थिति में ज़रूरी है कि निगमात्मक और डिजिटल शिकायत फाइलिंग में कड़े सत्यापन, नियमित ऑडिट और जवाबदेही की व्यवस्था हो।

 

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