“पुलिसिंग तपस्या है, ये नहीं चलेगा”, यूपी में DGP के निर्देशों की उड़ी धज्जियां.. वर्दी में रील बनाती महिला सिपाही Viral

उत्तर प्रदेश पुलिस का अनुशासन एक बार फिर सवालों के घेरे में है। औरैया जिले के अछल्दा थाने की महिला सिपाही पॉली भारद्वाज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें वह थाने के भीतर वर्दी में इंस्टाग्राम रील बनाती नजर आ रही हैं। यह घटना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि पूरे पुलिस महकमे की साख पर भी सवाल खड़े करती है।

थाने के भीतर रील शूट, वायरल वीडियो ने मचाया बवाल

पॉली भारद्वाज नाम की महिला सिपाही ने थाने के अंदर वर्दी पहनकर अलग-अलग एंगल से रील्स शूट की हैं। म्यूजिक और डायलॉग्स पर लिप-सिंक करती ये रील्स उनके इंस्टाग्राम अकाउंट Pawly Bhardwaj Official पर अपलोड की गई हैं। वायरल होते ही इन वीडियो पर यूजर्स ने कड़ी प्रतिक्रियाएं दी हैं।

इंस्टाग्राम पर 2.5 लाख फॉलोअर्स,

पॉली भारद्वाज लंबे समय से सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर 2 लाख 50 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं और वह सेलिब्रिटी स्टाइल में वीडियो शेयर करती हैं। उनके कई रील्स पर लाखों में व्यूज़ भी आते हैं। यह स्थिति तब है जब उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय ने पहले ही स्पष्ट निर्देश जारी किए थे कि ड्यूटी के दौरान रील बनाना सख्त वर्जित है।

डीजीपी के निर्देशों की उड़ी धज्जियां

डीजीपी ने पहले ही आदेश दिए थे कि वर्दी में सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की एक्टिविटी या मनोरंजन प्रतिबंधित है। बावजूद इसके, पॉली भारद्वाज द्वारा थाने के अंदर रील बनाना न सिर्फ अनुशासनहीनता है, बल्कि विभाग की छवि को भी नुकसान पहुंचाता है। वरिष्ठ अधिकारियों और आम जनता ने इस पर कड़ी नाराज़गी जताई है।

60 हज़ार नई भर्ती में भी दिखा ‘रील कल्चर’

हाल ही में हुई 60,000 सिपाहियों की भर्ती के बाद सोशल मीडिया पर रील्स की बाढ़ सी आ गई है। ट्रेनिंग ले रहे युवा सिपाही फिल्मी गानों, डायलॉग्स और ‘सिंघम’ स्टाइल रील्स बनाते नजर आ रहे हैं। कई ने अपने इंस्टा बायो में ‘COP’ या ‘UP Police’ जैसे शब्द जोड़ लिए हैं। कुछ वीडियो में विदाई के इमोशनल सीन भी दिखाए गए हैं।

‘पुलिसिंग तपस्या है, ये नहीं चलेगा’

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने चेताया है कि अगर यही ट्रेंड चलता रहा तो पूरी पुलिसिंग संस्कृति को बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि रंगरूटों को सोशल मीडिया की सीमाएं स्पष्ट रूप से बताई जाएं। वहीं पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने इसे “असभ्य प्रतिक्रिया” बताया और तुरंत रोक की मांग की।

वर्दी पहनने का अर्थ सिर्फ अधिकार नहीं, ज़िम्मेदारी!

वर्दी पहनने का अर्थ सिर्फ अधिकार नहीं, ज़िम्मेदारी भी होता है। सोशल मीडिया की चकाचौंध में पुलिस की गरिमा को भूलना न सिर्फ ड्यूटी से भटकाव है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाता है। अब देखना यह होगा कि विभाग इस वायरल वीडियो के बाद क्या ठोस कदम उठाता है।

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