सौतेले पिता ने पूछा एक सवाल, जवाब मिलते ही बेटी को उतारा मौत के घाट.. पूरी वारदात सुनकर कांप उठेंगे आप

लखनऊ के इलाके में सोमवार की शाम एक दर्दनाक घटनाक्रम सामने आया, जहाँ बेटी ने अपनी माँ की दूसरी शादी के खिलाफ़ हुई असहमति और पारिवारिक संपत्ति विवाद के चलते अपने सौतेले पिता द्वारा चाकू से गोदकर हत्या किए जाने की खबर ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया।

वारदात की रूपरेखा

पुलिस एवं रिश्तेदारों के बयान के अनुसार, 19 वर्षीय सिमरन राजपूत, जो बीसीए की छात्रा थी, अपनी माँ रेखा राजपूत की दूसरी शादी से नाराज़ थी। इस असहमति के कारण सिमरन और उसके सौतेले पिता विकास चंद्र पांडेय के बीच पिछले एक साल से अक्सर बहस होती रहती थी।

हत्या की भयावह घटना

सोमवार शाम लगभग 8:45 बजे, सिमरन के सौतेले पिता ने मोबाइल को लेकर सिमरन पर संदेह किया और उनमें तीखी लपटों भरी बहस छिड़ गई। विवाद के दौरान विकास ने चाकू उठाया और घर में ही सिमरन पर हमला कर दिया।

सिमरन चीखकर बाहर भागी, लेकिन विकास ने पार्किंग क्षेत्र में भी उनपर हमला जारी रखा और कई बार चाकू का वार किया । जब रेखा बीच बचाव में आगे आईं, तब विकास ने उनपर भी चाकू से वार किया, जिससे माँ को भी हाथ में चोटें प्राप्त हुईं ।

पुलिस और आपात सेवाओं की प्रतिक्रिया

रेखा ने तुरंत 112 पर कॉल की, जिसके बाद पुलिस और SHO घटनास्थल पर पहुँचे। सिमरन को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया । विकास को पड़ोसियों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।

संपत्ति विवाद

पुलिस का कहना है कि घर की रजिस्ट्री सिमरन के नाम पर थी। रेखा की दूसरी शादी के बाद यह तनाव और बढ़ गया, क्योंकि विकास सिमरन द्वारा घर पर अधिकार जताने से चिढ़ता था। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि संपत्ति और भरोसे की कमी ने इस आत्मघाती हिंसा को जन्म दिया

पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट

आरोपित विकास चंद्र पांडेय गिरफ्तार, गिरफ्तार कर केस दर्ज

घटना के समय पर पुलिस की पहुंच — त्वरित कार्रवाई

प्राथमिक जांच में हत्या के पीछे स्पष्ट परिवारिक गतिरोध, विश्वास की कमी और संपत्ति झगड़े की भूमिका पारदर्शी

हत्या का वार थाना महनगर में दर्ज, वांछनीय साक्ष्य (चाकू) बरामद।

आगे की कानूनी प्रक्रिया

पुलिस पूछताछ कर रही है और फोरेंसिक रिपोर्ट के साथ गहन जांच कर रही है। जांच के दौरान विकास पर लागू सुरक्षात्मक कार्रवाइयाँ जारी रहेंगी। स्थानीय न्यायिक प्रक्रिया की सुनवाई जल्द ही प्रारंभ होगी।

यह दुखद घटना से स्पष्ट होता है कि परिवार में भरोसा और आपसी समझ कब अत्याचार और हिंसा में बदल जाती है—यह एक गहरा सामाजिक संदेश है। जब भावनात्मक दूरी, संपत्ति इच्छाएँ और असहमति मिलकर हिंसा को जन्म देती है, तो परिवार एक आत्मघाती जाल बन कर रह जाता है।

 

 

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