“स्विट्ज़रलैंड से आई महिला की चिट्ठी ने मचाया बवाल! सांसद चंद्रशेखर आज़ाद पर होटल में बुलाकर शोषण का आरोप

डॉ. रोहिणी घावरी ने नगीना लोकसभा सांसद एवं भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ के खिलाफ महिला आयोग व NCW में शिकायत दर्ज कराई है। आरोपों में छुपा विश्वासघात, शादीशुदा होने की गोपनीयता और राजनीतिक फायदा उठाने का कथित षड्यंत्र शामिल है।
आरोपी कौन है – चंद्रशेखर आजाद
लोकसभा सांसद, भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के नेता। नागिना (यूपी) से 2024 में बड़ी जीत दर्ज की।
सामाजिक न्याय और दलित शिक्षा के लिए जाना जाता है; 2021 में टाइम मैगज़ीन की “100 इमर्जिंग लीडर्स” सूची में शामिल हुआ।
पीएचडी स्कॉलर की पहचान – डॉ. रोहिणी घावरी
इंदौर की मूल निवासी, स्विट्ज़रलैंड में पीएचडी कर रही एवं एक NGO भी चलाती हैं।
उन्हें 1 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी, तथा 2019 में संयुक्त राष्ट्र में ‘जय श्री राम’ उद्घोष से सुर्ख़ियों में आई थीं।
आरोपों की पूरी तस्वीर
भावनात्मक और यौन शोषण: रोहिणी का दावा है कि आज़ाद ने रिश्ता शुरू करने के बाद इस्तेमाल किया और फिर छोड़ा, साथ ही कई अन्य महिलाओं ने भी इसी तरह अनुभव साझा किए हैं।
शादीशुदा होने की बात छिपाई: उन्होंने आरोप लगाया कि आज़ाद ने अपनी शादी छुपाई, और जब सच सामने आया तो रिश्ता तोड़ने की कोशिश की।
राजनीतिक फायदा: रोहिणी ने कहा कि आज़ाद ने उसे दलित आंदोलन व राजनीतिक कामों में इस्तेमाल किया, फिर छोड़ दिया क्योंकि चुनाव जीतने के बाद “उसका इस्तेमाल खत्म हो गया”।
मानसिक और सामाजिक प्रताड़ना: उन्होंने दो आत्महत्या की कोशिशें भी कीं, क्योंकि उन्हें डिप्रेशन हुआ, साथ ही उनका सोशल मीडिया पर भी अपमान हुआ।
कार्रवाई और प्रतिक्रियाएं
महिला आयोग व NCW में शिकायत:
यूपी महिला आयोग ने राज्यकर्मी अपरना यादव ने कहा कि यदि आरोप सही पाए गए तो सांसद के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी—“सामाजिक प्रतिष्ठा कोई भी हो, बगैर बक्शा नहीं जाएगा”
नेशनल कमीशन फॉर विमेन (NCW) ने भी यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया।
सांसद की प्रतिक्रिया:
आजाद ने मीडिया से कहा है कि वह सारे आरोपों का केवल कोर्ट में जवाब देंगे, मीडिया में कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
भीम आर्मी की सफाई:
संगठन ने आरोपों को एक राजनीतिक साजिश करार दिया, जिसे बीजेपी ने ओर्चेस्ट्रटे किया है।
सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव
छवि और करियर पर असर: ये आरोप उनके राजनीतिक व सामाजिक प्रतिष्ठा को चुनौती दे रहे हैं, संसद और चुनावी रणनीतियों में हलचल मची है।
दलित राजनीति में उड़ती चिंगारी: यह मामला भाजपा-विरोधी दलित राजनीति में नए संदर्भ जोड़ सकता है, क्योंकि रोहिणी स्वयं बाल्मिकि व तमाम समुदायों का समर्थन पा रही हैं।
आगे क्या होगा?
अदालत की प्रक्रिया: शिकायतों के बाद, महिला आयोग या NCW आगे साक्ष्य जुटाएगा। आजाद और रोहिणी दोनों कोर्ट में आमने-सामने होंगे।
सामाजिक बहस: यह मामला #HeSaidSheSaid तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दलित राजनीति, महिला अधिकारों और नेताओं की नैतिकता पर बहस छेड़ेगा।
डॉ. रोहिणी घावरी की चुप्पी टूटने से राजनीति और महिला अधिकारों की सीमाएं स्पष्ट हो रही हैं। यदि कोर्ट में सबूत पुख्ता साबित होते हैं – तो यह सिर्फ व्यक्तिगत विश्वासघात नहीं, बल्कि समाज में प्रगति और नैतिक राजनेता के महत्व पर गहन सवाल खड़े करेगा।