8 महीने अटका 74 करोड़ के ओवरब्रिज का काम.. वजह – “एक मकान”, रक्षामंत्री ने किया था शिलान्यास, देखें

लखनऊ-कानपुर रेलखंड पर कृष्णानगर–केसरिखेड़ा क्रॉसिंग पर बन रहे बहुप्रतीक्षित ₹74 करोड़ के रेलवे ओवरब्रिज (ROB) का ढांचा लगभग तैयार है, लेकिन अचानक एक दो‑मंजिला इमारत के कारण निर्माण कार्य तीन महीने से ठप पड़ा हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में पुल के लोहे के बीम बिलकुल उस इमारत से टकराते दिख रहे हैं — मानो पुल सीधे उस भवन में जा टकराएगा।
पुल बन रहा, लेकिन रास्ता अटका
परियोजना फरवरी 2024 में शुरू हुई थी, और जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका शिलान्यास किया था।
करीब 75 % कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन पुल का पथ — जहां से ट्रेनें गुज़रेंगी — एक “जमीन पर बनी” इमारत ने ब्लॉक कर रखा है।
सार्वजनिक रूप से वायरल हुए वीडियो में बीम और बिल्डिंग का ये स्पष्ट प्रभावी दृश्य दिखाई दे रहा है — जिससे पुल “फ्लाईओवर टू नोवेयर” जैसा बनता दिख रहा है।
प्रशासन और अदालत— समाधान की दिशा में
उत्तर प्रदेश ब्रिज कॉर्पोरेशन और जिला प्रशासन इस भूमि विवाद को कोर्ट के माध्यम से सौहार्दपूर्ण समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं ।
अधिकारियों के अनुसार “इमारत को हटाने या उचित मुआवजे के बाद निर्माण कार्य फिर से शुरू किया जाएगा।” कार्य लगभग पूरी तरह तैयार होने के बावजूद, ये विवाद काम रोकने में सहायक रहा है ।
जनजीवन पर असर और ट्रैफिक की स्थिति
इस पुल के बन जाने से इंद्रलोक कॉलोनी, महाराजापुरम, पंडितखेड़ा, केसरिखेड़ा, गंगाखेड़ा जैसे क्षेत्रों में मौजूदा रेलवे क्रॉसिंगों पर जाम और विलंब की समस्या हल होने की उम्मीद थी।
लेकिन कार्य रुकने से, प्रतिदिन करीब 5 लाख की आबादी को ट्रॉफिक में तनाव के साथ गुजरना पड़ रहा है—कैसे एक पूरा पुल उपयोग में ना आ पाए, यह बेतुका स्थिति बनकर रह गई है।
सोशल मीडिया पर उत्साह-आलोचना का मिक्स
सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल हो चुका है, कुछ लोग इसे “eighth wonder” कहकर मज़ेदार बना रहे हैं, तो कुछ इसे भ्रष्टाचार और भूमि विवाद का नमूना बता रहे हैं ।
लाइव वीडियो में पुल “यात्रा कहीं जा रही है पर जाने नहीं दे रही” जैसी व्यंग्य टिप्पणियाँ आम हो गई हैं।
लखनऊ का ये ₹74 करोड़ का ROB अगर पूरा हो जाता, तो ट्रैफिक राहत और रोज़मर्रा के आवागमन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता था। लेकिन एक इमारत ने तीन महीने काम रोक दिया है—एक पुल “जहां जाना था, वहां नहीं गया” जैसा बनाया। अभी सवाल है—क्या यह मामला जल्द सुलझेगा? या बनेगा “मेट्रो से पहले पुल जो इमारत में घुस गया”?