UP का सबसे बड़ा गांव: यहाँ प्रधान बनना विधायक बनने से भी मुश्किल, 75 टोलों में फैला घूमने में लगते कई दिन

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में एक ऐसा गांव है, जो न केवल अपने विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की ग्राम पंचायत चलाना विधायक क्षेत्र से भी कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण मानी जाती है। यह गांव है जुगैल, जिसे यूपी का सबसे बड़ा गांव माना जाता है। यहां ग्राम प्रधान बनना एक बड़ी जंग जीतने जैसा है।
75 टोलों में फैला है जुगैल गांव, 30 किलोमीटर तक फैला क्षेत्र
जुगैल गांव कुल 75 टोलों में बसा है और इसके एक छोर से दूसरे छोर तक की दूरी 28 से 30 किलोमीटर है। यह क्षेत्रफल इतना बड़ा है कि भारत के कई छोटे राज्यों के विधानसभा क्षेत्र भी इससे छोटे हैं। 2020 में यहां कुल 17,342 मतदाता थे, जो अब बढ़कर करीब 23,000 हो चुके हैं। आबादी की बात करें तो जुगैल गांव में लगभग 40,000 लोग रहते हैं।
गांव के हर टोले तक पहुंचने में लग जाते हैं महीने
जुगैल गांव के इतने टोलों में फैले होने के कारण एक प्रधान को अपने ही क्षेत्र के सभी टोलों तक पहुंचने में महीनों लग जाते हैं। यही वजह है कि यहां चुनाव लड़ना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं। ग्रामीणों में मशहूर कहावत है कि “विधायक बनना आसान है, लेकिन जुगैल का प्रधान बनना मुश्किल।”
बजट सीमित, समस्याएं अपार
इस गांव की सबसे बड़ी समस्या यह है कि राजस्व रिकॉर्ड में यह एक ही गांव के रूप में दर्ज है। इसके कारण सिर्फ एक लेखपाल और एक सफाईकर्मी ही तैनात हैं। ग्राम पंचायत को आबादी के अनुसार बजट तो मिलता है, लेकिन जरूरतें कहीं ज्यादा हैं। छोटे कार्य तो पंचायत के स्तर पर हो जाते हैं, लेकिन बड़े कामों के लिए विशेष बजट की जरूरत होती है।
सड़क, नेटवर्क और एंबुलेंस की भारी दिक्कतें
गांव के पौसिला टोले में तो एंबुलेंस तक नहीं पहुंच सकती। वहीं गरदा, घोड़ाघाट, भटवा टोला, सेमरा जैसे इलाकों में सड़क तो बन गई है, लेकिन नेटवर्क की सुविधा नहीं है। कई टोलों में बिजली और स्कूल की सुविधाएं भी नहीं हैं।
जनता दरबार में सुनवाई से हो रहा समाधान
ग्राम प्रधान सुनीता देवी बताती हैं कि इतने बड़े क्षेत्र में सभी तक पहुंचना संभव नहीं है, इसलिए पंचायत भवन पर हर दिन सुबह 7 बजे से दोपहर 1 बजे तक जनता दरबार लगाया जाता है। इसी दौरान ग्रामीण अपनी समस्याएं लेकर आते हैं। उन्होंने बताया कि पहले इसे विभाजित करने की कोशिश हुई थी, लेकिन ब्रिटिश काल से एक ही राजस्व ग्राम होने के कारण ऐसा नहीं हो सका।
पंचायत भवनों के जरिये दी जा रही सेवाएं
जिला पंचायत राज अधिकारी नमिता शरण ने बताया कि बड़ी ग्राम पंचायतों जैसे जुगैल, पनारी, कोटा में बजट आबादी के अनुसार दिया जाता है। सेवाओं की सुविधा के लिए पंचायत भवनों के माध्यम से कार्य किए जा रहे हैं। सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी जगरूप सिंह पटेल ने कहा कि गांव के विभाजन का प्रस्ताव पूर्व में भेजा गया था, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार अब भी यह एक ही गांव है।
दूसरे नंबर पर है पनारी गांव, 64 टोलों में बसी है यह पंचायत
जुगैल के बाद सोनभद्र के चोपन ब्लॉक का पनारी गांव भी विशाल क्षेत्र में फैला है। यहां 64 टोले हैं और गांव की दूरी 20-22 किमी तक फैली है। 2020 में यहां 16,344 मतदाता थे जो अब 21,000 के करीब हैं। आबादी करीब 35,000 है। खास बात यह है कि इस पंचायत क्षेत्र में सलईबनवा, फफराकुंड, मगरदहा, ओबरा डैम और गुरमुरा जैसे पांच रेलवे स्टेशन मौजूद हैं।
बुनियादी सुविधाओं का अब भी इंतजार
पनारी के अदरा कूदर, छत्ताडांड, ढोढहार जैसे टोलों में अभी तक बिजली और स्कूल जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। ग्राम प्रधान लक्ष्मण यादव के अनुसार, यहां एक टोले से दूसरे टोले की दूरी 5-6 किलोमीटर है, जिससे सेवाएं पहुंचाना काफी कठिन हो जाता है।