आसमान में घूमती आफत ! अमेरिका का ‘डूम्सडे प्लेन’ या रूस का ‘डूम्सडे रेडियो’ ? दोनों एक्टिव, जानिए कौनसा ज्यादा खतरनाक

ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका का प्रेसिडेंशियल ‘डूम्सडे प्लेन’ E-4B मंगलवार देर रात वाशिंगटन डीसी के पास स्थित ज्वाइंट बेस एंड्रयूज पर उतरा। यह वही विशेष विमान है जिसका उपयोग अमेरिका वैश्विक आपातकाल, परमाणु युद्ध या बड़े आतंकी हमलों के समय करता है। इसे ‘नाइटवॉच’ के नाम से भी जाना जाता है और इसे ‘कयामत का संकेत’ माना जाता है। इससे पहले यह विमान आखिरी बार 9/11 हमलों के दौरान सक्रिय हुआ था।

क्या है E-4B डूम्सडे प्लेन की खासियत?

अमेरिका का E-4B नाइटवॉच एक अत्याधुनिक कमांड और कंट्रोल एयरक्राफ्ट है जिसे आधिकारिक रूप से National Airborne Operations Center (NAOC) कहा जाता है। यह विमान तीन डेक वाला है, जिसमें एक ब्रीफिंग रूम, रणनीतिक सम्मेलन कक्ष, हाई-सिक्योरिटी कम्युनिकेशन जोन और विश्राम के लिए 18 बंक शामिल हैं। यह बिना ज़मीन पर उतरे लगभग 35 घंटे तक हवा में रह सकता है। इसमें इन-एयर रीफ्यूलिंग की सुविधा है, यानी उड़ते समय ही ईंधन भरा जा सकता है। इसे परमाणु हमले और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (EMP) हमलों से सुरक्षित बनाया गया है। इसमें एडवांस्ड कम्युनिकेशन सिस्टम है जिससे राष्ट्रपति और रक्षा विभाग पूरी दुनिया में सैन्य नियंत्रण बनाए रख सकते हैं।

इतिहास में कब-कब हुआ इस्तेमाल?

9/11 हमलों के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इस विमान का इस्तेमाल किया था। इसके अलावा 1995 में तूफान ओपल के समय संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (FEMA) की टीम को भी इसी विमान से रवाना किया गया था। यह विमान सामान्य दिनों में नहीं दिखता — इसकी उपस्थिति हमेशा किसी अत्यधिक संवेदनशील स्थिति का संकेत मानी जाती है।

अब बात रूस के डूम्सडे रेडियो की: UBV-76 क्या है?

रूस का रहस्यमय ‘डूम्सडे रेडियो’ UBV-76 के नाम से जाना जाता है। यह कोई सामान्य रेडियो स्टेशन नहीं बल्कि एक सीक्रेट कम्युनिकेशन नेटवर्क है, जिसे ‘The Buzzer’ भी कहा जाता है। माना जाता है कि इससे भेजे गए मैसेज उन इलाकों तक भी पहुंच सकते हैं जहां सैटेलाइट संचार विफल हो जाए।

यह रेडियो स्टेशन हैक-प्रूफ है।

इसमें कोडेड मैसेज भेजे जाते हैं , जिसमें शब्दों के साथ-साथ नंबर्स भी शामिल होते हैं। इसके जरिए सीक्रेट सैन्य अभियान या परमाणु प्रोटोकॉल सक्रिय किए जा सकते हैं। यह लगातार एक ‘Buzzing’ साउंड करता है। अगर यह पैटर्न बदलता है तो माना जाता है कि दुनिया किसी बड़े सैन्य या परमाणु संकट की ओर बढ़ रही है।

डिजिटल युग में रेडियो का इस्तेमाल क्यों?

जब पूरी दुनिया एडवांस्ड सैटेलाइट टेक्नोलॉजी पर निर्भर है, तब भी रूस इस रेडियो को क्यों चलाता है? इसका सीधा जवाब है: भरोसेमंद और गैर-डिजिटल सिस्टम की विश्वसनीयता।
रेडियो कम्युनिकेशन को न तो साइबर अटैक से प्रभावित किया जा सकता है और न ही इसमें डिजिटल ब्लॉकेज की समस्या आती है। यह रेडियो विशेष आपातकालीन परिस्थितियों के लिए एक ‘Fail-Safe’ चैनल है।

अमेरिका बनाम रूस: कौन ज़्यादा खतरनाक?

जहां अमेरिका का E-4B डूम्सडे प्लेन एक चलती-फिरती कमांड पोस्ट है जो जमीनी युद्ध के दौरान राष्ट्रपति और सेना को नियंत्रण देता है, वहीं रूस का डूम्सडे रेडियो गुप्त संचार प्रणाली का एक ऐसा रूप है जो संकेतों में चेतावनी और आदेश देता है। E-4B में टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट और ओपन इंटेलिजेंस शामिल है। UBV-76 पूरी तरह सीक्रेटिव और साइकोलॉजिकल वॉरफेयर टूल की तरह काम करता है। दोनों ही अपने-अपने देशों की सुरक्षा नीति और रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं।

Related Articles

Back to top button