बालिग दुल्हन को नाबालिग बता, मंडप से उठा ले गए.. हुआ चौंकाने वाला खुलासा, 7 अधिकारीयों के खिलाफ FIR

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहाँ 21 वर्षीय अंजलि (नाम परिवर्तन) को वयस्क होने के बावजूद नाबालिग बताया गया और उसकी शादी रुकवा दी गई। इस मामले में सूचना अमरोहा के हसनपुर थाना क्षेत्र के न्यायालय का ध्यान आकृष्ट हुआ, जहाँ कोर्ट ने जिम्मेदार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया है।
शादी अचानक ठप, आधार कार्ड भी बेअसर
5 मार्च 2025 को गाँव शहबाजपुर गुर्जर के खेतों में अंजलि की शादी तय हुई थी। बारात, मंडप और समारोह की सभी तैयारियाँ पूरी थीं। लेकिन तभी कुछ गांव वाले पहुंच गए और दावा किया कि दुल्हन नाबालिग है। पुलिस अधिकारी और बाल कल्याण समिति की टीम ने आधार कार्ड और उम्र प्रमाणपत्र होने के बावजूद शादी को रुकवा दिया। आरोप है कि उन्होंने किशोरी को बिना कानूनी कार्रवाई के उठवा लिया।
रिश्वत का खुलासा: शादी रुकवाने के पीछे लेन–देन था कारण?
किसान (दूल्हे के पिता) ने कोर्ट में बताया कि जब उन्होंने अधिकारीयों को सही उम्र का प्रमाणपत्र दिखाया तो उसने ₹50,000 रिश्वत की मांग की। रिश्वत देने से मना करने पर, अधिकारीयों की टीम ने दूल्हन को मंडप से उठा लिया और वन-स्टॉप सेंटर को भेज दिया।
कोर्ट ने दिए कठोर आदेश: 7 अधिकारी करेंगे सफाई
सीजेएम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए हत्या संरक्षण अधिकारी सहित सात लोगों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने सात दिन में कार्रवाई रिपोर्ट भी पेश करने का निर्देश दिया है
कानूनी पहलू: बाल विवाह कानून की लापरवाही?
भारतीय कानून (Prohibition of Child Marriage Act 2006) के अनुसार, लड़की की न्यूनतम आयु 18 वर्ष है। अगर लड़की 18 वर्ष की है, तब भी शादी होती है तो उसे रद्द किया जा सकता है
इस मामले में किशोरी उचित उम्र की थी लेकिन शादी बिना जांच आदेश के रोकी गई, जो नियमों की अवहेलना है।
सामाजिक और प्रशासनिक निहितार्थ
यह मामला बाल विवाह रोकने के नाम पर राजनीतिक और प्रशासनिक ताकतों का ठोंस प्रदर्शन साबित हो सकता है। इसे नाकच करने का निर्णय अदालत के निर्देश के बाद पारदर्शी तरीके से लेना सामाजिक न्याय के लिहाज से आवश्यक है।
अधिकारों का गलत इस्तेमाल
यह एक चेतावनी है—जहाँ कानून और अधिकारों की रक्षा लोकतंत्र का आधार लेकिन अधिकारों का गलत इस्तेमाल इनके मूल सुरक्षा उद्देश्य को नहीं छोड़ना चाहिए। कोर्ट ने जिन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है, उनसे अपेक्षा है कि निष्पक्ष जांच से परिवार को न्याय मिलेगा और भविष्य में कानून की रक्षा सुनिश्चित होगी।