कछला घाट पर बड़ा हादसा: अस्थि विसर्जन करने आए परिवार के 6 लोग गंगा में बहे, 1 गलती और मौत का मंजर

उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के उझानी क्षेत्र में सोमवार को कछला घाट पर एक दर्दनाक हादसा हो गया। राजस्थान के भरतपुर से अस्थि विसर्जन के लिए आए एक परिवार के छह सदस्य गंगा स्नान के दौरान बह गए। गोताखोरों ने चार को बचा लिया, लेकिन दो किशोर अभी भी लापता हैं। इस हादसे के बाद घाट पर कोहराम मच गया।

राजस्थान के भरतपुर से आए थे अस्थि विसर्जन करने

भरतपुर (राजस्थान) जिले के थाना चिटसाना क्षेत्र के गांव पीरनगर निवासी अमरीश सिंह की मृत्यु के बाद उनके परिवार के लगभग 35 सदस्य सोमवार को अस्थि विसर्जन के लिए बदायूं के कछला घाट पहुंचे थे। पूजा और विधिपूर्वक अस्थि विसर्जन करने के बाद परंपरा के अनुसार पूरा परिवार गंगा स्नान करने लगा।

गहरे पानी में जाने से फिसला संतुलन, डूबने लगे छह लोग

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्नान के दौरान अचानक सुमित (17) पुत्र विजय सिंह, सुमीर (16) पुत्र रामवीर, दीवान (20) पुत्र वीर सिंह, मोनू (18) पुत्र इंद्रपाल, गौरव (21) पुत्र विक्रम सिंह और एक महिला नीतू गहरे पानी में चले गए और डूबने लगे। इस दृश्य को देखकर घाट पर अफरा-तफरी मच गई। परिजन चीख-पुकार करने लगे और महिलाओं की हालत बिगड़ गई।

दो किशोर अब भी लापता

गंगा घाट पर मौजूद स्थानीय गोताखोरों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नदी में छलांग लगाई और चार लोगों—दीवान, मोनू, गौरव और नीतू—को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। लेकिन सुमित और सुमीर गंगा की तेज धाराओं में बह गए। दोनों किशोरों की तलाश के लिए सघन सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।

परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल

बचाए गए लोगों को नजदीकी अस्पताल भेजा गया है जहां उनका इलाज जारी है। दूसरी ओर, डूबे किशोरों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। घाट पर मौजूद महिलाएं बेसुध हो गईं। मौके पर भारी भीड़ जुट गई और पुलिस व प्रशासन को सूचना दी गई।

स्थानीय प्रशासन और SDRF की टीमें मौके पर जुटीं

हादसे की खबर मिलते ही स्थानीय पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। नदी में लापता किशोरों की खोजबीन के लिए अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य जारी है।

गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था

गंगा स्नान के दौरान बरती गई छोटी सी असावधानी एक परिवार के लिए बड़ा हादसा बन गई। यह घटना एक बार फिर गंगा घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था और सतर्कता की जरूरत को रेखांकित करती है। स्थानीय प्रशासन से मांग की जा रही है कि घाट पर सुरक्षा व्यवस्था और गोताखोरों की पर्याप्त तैनाती की जाए।

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