BJP मंत्री और हिन्दू संगठनों के बीच घमासान, सड़कों पर उतरे सैकड़ों कार्यकर्त्ता.. VHP और बजरंग दल की धमकी..

बरेली जिले के आंवला में पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट करने पर विहिप नेता आशीष पाठक को पुलिस द्वारा हिरासत में लेने से बवाल मच गया है। इस कार्रवाई से हिंदूवादी संगठनों में भारी आक्रोश है। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने आंवला थाने का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं शहर में भी मंत्री के खिलाफ जोरदार नारेबाजी और पुतला दहन किया गया।

विहिप नेता की गिरफ्तारी से उबाल

बरेली के आंवला क्षेत्र में विहिप नगर मंत्री आशीष पाठक को सोमवार सुबह जनसुविधा केंद्र से हिरासत में लिया गया। आरोप है कि आशीष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह का एक वीडियो साझा कर उस पर विवादास्पद टिप्पणी की थी। पुलिस का कहना है कि इस पोस्ट से मंत्री की छवि को धूमिल करने और जातीय एवं सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया गया।

थाने का घेराव, एसडीएम और सीओ मौके पर पहुंचे

जैसे ही आशीष की गिरफ्तारी की खबर फैली, विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में आंवला थाने पहुंचे और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। थाने के बाहर घंटों हंगामा और नारेबाजी होती रही। हालात को नियंत्रित करने के लिए एसडीएम और सीओ को मौके पर बुलाना पड़ा। हालांकि, बातचीत से कोई हल नहीं निकल पाया और कार्यकर्ता थाने से तहसील परिसर में धरना देने के लिए रवाना हो गए।

शहर में भी भड़का गुस्सा, मंत्री का पुतला फूंका

प्रेमनगर स्थित श्रीकृष्ण लीला स्थल पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए मंत्री धर्मपाल सिंह का पुतला फूंका। इस दौरान बजरंग दल के महानगर संयोजक केवलानंद ने कहा, “मंत्री के बयान से पूरा बजरंग दल आहत है। धर्मपाल सिंह को कार्यकर्ताओं से तुरंत माफी मांगनी चाहिए, वरना प्रदेशभर में बजरंग दल आंदोलन करेगा।”

आशीष पाठक के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

पुलिस ने बताया कि आशीष पाठक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है जिसमें आईटी एक्ट समेत कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि आशीष की पोस्ट ने समाज में जातीय और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश की है, जिससे कानून-व्यवस्था पर खतरा पैदा हो सकता था।

पुलिस और प्रशासन पर पक्षपात का आरोप

हिंदूवादी संगठनों का आरोप है कि प्रशासन मंत्री के दबाव में कार्य कर रहा है और आशीष पाठक को राजनीतिक बदले की भावना से निशाना बनाया गया है। कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाया कि जब मंत्री के बयान से पूरे हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुईं, तब प्रशासन ने उस पर कोई संज्ञान क्यों नहीं लिया?

राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग

इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या सरकार और पुलिस तंत्र आलोचना को दबाने के लिए राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग कर रहे हैं? मंत्री के खिलाफ एक सोशल मीडिया पोस्ट को जहां देशद्रोह की तरह लिया गया, वहीं मंत्री के विवादित बयान पर चुप्पी आम लोगों के बीच सरकार की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर रही है।

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