“वक्फ” जज CJI संजीव खन्ना का आज आखिरी दिन, इन मुद्दों पर सरकार से भी टकरा गए चीफ जस्टिस

नई दिल्ली – भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना आज 13 मई को रिटायर हो रहे हैं। छह महीने के अल्प कार्यकाल में उन्होंने भले ही सार्वजनिक मंचों पर अपने विचार खुलकर न रखे हों, लेकिन कई ऐसे बड़े फैसले दिए जो न्यायपालिका के पारदर्शी और जवाबदेह बनने की दिशा में अहम माने जा रहे हैं। वे अपने पूर्ववर्ती सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ से बिल्कुल भिन्न थे—जहां चंद्रचूड़ मुखर और प्रगतिशील दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं, वहीं जस्टिस खन्ना संयमित, गंभीर और शांत न्यायिक दृष्टिकोण के लिए पहचाने गए।
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर नई याचिकाओं पर लगी रोक
अपने कार्यकाल में जस्टिस संजीव खन्ना ने मंदिर-मस्जिद विवाद को भड़कने से रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अंतिम निर्णय नहीं देती, तब तक इस एक्ट से जुड़ी कोई नई याचिका कोर्ट में दाखिल नहीं की जा सकती। उनका यह आदेश देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण माना गया।
वक्फ संशोधन कानून के दो प्रावधानों पर अंतरिम रोक
विवादों में घिरे वक्फ संशोधन कानून के तहत जस्टिस खन्ना ने दो मुख्य प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल किसी वक्फ संपत्ति को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही वक्फ काउंसिल में नई नियुक्तियां होंगी। यह फैसला केंद्र और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच संवेदनशील मुद्दों पर संतुलन बनाए रखने का प्रयास माना गया।
जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का फुल कोर्ट प्रस्ताव
‘जज वर्मा कैश कांड’ के बाद देशभर में न्यायपालिका की जवाबदेही को लेकर सवाल उठे। ऐसे समय में सीजेआई खन्ना ने 1 अप्रैल 2025 को फुल कोर्ट बैठक बुलाई और सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का प्रस्ताव पास करवाया। यह कदम देश में न्यायिक पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में मील का पत्थर बना।
इतना ही नहीं बल्कि जज यशवंत वर्मा के घर से जले हुए कैश मिलने की घटना पर सीजेआई खन्ना ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने मामले की सभी जानकारियां सार्वजनिक कीं, साथ ही जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया और जांच पूरी होने तक उनके कोर्ट में बैठने पर रोक लगा दी गई। यह न्यायिक शुचिता बनाए रखने की मिसाल है।
कॉलेजियम की सिफारिशों को किया सार्वजनिक
जजों की नियुक्ति में भाई-भतीजावाद के आरोपों को खारिज करने के लिए खन्ना ने कोई बयान देने के बजाय सीधा एक्शन लिया। उन्होंने कॉलेजियम द्वारा केंद्र सरकार को भेजी गई सिफारिशों को सार्वजनिक कर दिया। इससे न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर जनता के बीच विश्वास बढ़ा।
EVM, इलेक्टोरल बॉन्ड और धारा 370 पर लिए ऐतिहासिक फैसले
जस्टिस खन्ना की पीठ ने EVM की शुचिता को कायम रखने का समर्थन किया, साथ ही इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के केंद्र सरकार के निर्णय को संवैधानिक करार दिया। इन सभी मामलों में उनकी भूमिका निर्णायक रही।
जस्टिस बीआर गवई होंगे नए चीफ जस्टिस
जस्टिस संजीव खन्ना की जगह अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज बीआर गवई 14 मई को नए चीफ जस्टिस के तौर पर शपथ लेंगे। जस्टिस खन्ना, पूर्व जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैंपस लॉ सेंटर से पढ़ाई की थी और 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। 18 जनवरी 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
फैसलों की गंभीरता और न्यायिक गरिमा ने उन्हें यादगार बना दिया
जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल भले ही अल्पकालिक रहा हो, लेकिन उनके फैसलों की गंभीरता और न्यायिक गरिमा ने उन्हें यादगार बना दिया। बिना बयानबाजी के लिए गए उनके कदम भारतीय न्यायपालिका में जवाबदेही और निष्पक्षता की नई परिभाषा पेश करते हैं।