‘स्ट्रेचर पर माँ.. और खून की बोतल पकड़ा मासूम’, यूपी में फिर सामने आई इस अस्पताल की शर्मनाक हरकत

झांसी मेडिकल कॉलेज में एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला के पति ने स्ट्रेचर खींचते हुए अपने मासूम बेटे से खून की बोतल पकड़वाने का मामला उजागर हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, 3 मई को छतरपुर के रहने वाले राजू नायक अपनी पत्नी शकुंतला को इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज लाए थे, जहां महिला की स्थिति गंभीर थी और उसे खून चढ़ाया जा रहा था। लेकिन एक लापरवाही के कारण महिला के बेटे को खून की थैली पकड़ा दी गई और उसे स्ट्रेचर खींचने के लिए कहा गया। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया और इस पर कार्रवाई की गई।

मरीज की हालत बिगड़ी, परिवार में हुआ हंगामा

बताया जा रहा है कि 3 मई को शकुंतला नायक को पेट में गंभीर दर्द के बाद झांसी मेडिकल कॉलेज लाया गया था। जांच के दौरान पता चला कि महिला को संक्रमण की वजह से आंतों में समस्या हो रही थी, जिसके चलते ऑपरेशन की आवश्यकता थी। 8 मई को महिला को खून चढ़ाया गया। लेकिन महिला की तबियत और बिगड़ गई, और उसे एक्सरे के लिए रेडियोलॉजी विभाग भेजा गया।

बेटे से खून की थैली पकड़ा दी, पिता को स्ट्रेचर खींचने को कहा

आरोप है कि इस दौरान, न तो वार्डबॉय आया और न ही कोई कर्मचारी महिला के साथ था। नर्सिंग स्टाफ ने महिला के नौ साल के बेटे सौरभ नायक को खून की बोतल पकड़ने के लिए दे दी और उसके पिता को स्ट्रेचर खींचने के लिए कहा। इस लापरवाही से भरी घटना ने पूरे अस्पताल में हड़कंप मचा दिया। पिता और बेटा खून की बोतल और स्ट्रेचर के साथ चलने पर मजबूर थे। किसी ने इस दृश्य को मोबाइल में कैद कर लिया, और यह फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।

फोटो वायरल होने के बाद हुआ हंगामा, 5 कर्मचारियों पर एक्शन

इस दर्दनाक और लापरवाह घटना के वायरल होते ही अस्पताल प्रशासन में खलबली मच गई। मामले की जांच के बाद, दोषी पाए गए 5 कर्मियों पर कार्रवाई की गई। इसमें सिस्टर इंचार्ज और स्टाफ नर्स का वेतन रोक दिया गया और दोनों को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया गया। इसके अलावा, दो आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया, और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को निलंबित कर दिया गया।

लापरवाही पर सवाल, अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी

इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, जिसमें एक छोटे से बच्चे को न केवल खून की बोतल पकड़ने के लिए कहा गया, बल्कि उसे स्ट्रेचर भी खींचने को कहा गया। यह घटना न केवल मरीज और उनके परिवार के लिए मुश्किलें पैदा करने वाली थी, बल्कि अस्पताल की कार्यशैली और नर्सिंग स्टाफ की गंभीरता पर भी सवाल उठाती है। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी नजर रखी जाए और जिम्मेदार कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

11 नवजात बच्चों की मौत, फिर भी नहीं कोई सुधार

बताते चलें कि इसी झांसी मेडिकल कॉलेज के निओ नैटल इंटेंसिव केयर यूनिट (नीकू) में बीते नवंबर 2024 में आग लगने से 11 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। बावजूद इसके, यहां से सामने आ रहे इन वीडियोस ने साफ़ कर दिया है कि अस्पताल प्रबंधन बेहद लापरवाह है जिसपर कड़ी कार्यवाही की आवश्यकता है।

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