हिन्दू युवक का घर.. और घर में 5 मजारें, वीडियो वायरल होने के बाद मचा बवाल.. बहन की मौत से क्या संबंध ?

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के बिलसंडा थाना क्षेत्र के सिबुआ गांव में रहने वाले धीरज (35) ने अपनी बहन की रहस्यमयी मौत के बाद अपने घर में किछौछा शरीफ दरगाह की तर्ज पर 5 मजारें बनवाई थीं। ये मजारें उसके घर के एक अलग कमरे में बनी थीं, जिसे हरे रंग से रंगा गया था। 2 मई को हिंदू संगठनों के विरोध के बाद धीरज ने इन्हें खुद तुड़वा दिया।

छोटी बहन सीता की रहस्यमयी हालत से शुरू हुई मजारों की कहानी

धीरज की 17 साल की बहन सीता हमेशा बीमार रहती थी। परिजनों के अनुसार, वो अचानक गिर जाती थी, चीखने लगती थी, और कहती थी कि कोई उसका गला दबा रहा है। इलाज के लिए कई मंदिरों और अस्पतालों में दौड़ने के बाद उसे किछौछा शरीफ दरगाह ले जाया गया, जहां कुछ समय के लिए आराम मिला। लेकिन इलाज के कुछ ही हफ्तों बाद सीता की मौत हो गई।

बहन की मौत के बाद परिवार पर भी आने लगीं अजीब घटनाएं

सीता की मौत के बाद कुछ दिनों तक सब सामान्य रहा। लेकिन फिर धीरज और उसके परिवार के साथ भी अजीब घटनाएं होने लगीं। घर में चारपाई खुद-ब-खुद खिसकने लगी, थाली गायब होने लगी, और रहस्यमयी आवाजें सुनाई देने लगीं। डर और परेशानी के चलते धीरज ने फिर से किछौछा शरीफ की यात्रा की, जिससे थोड़े समय के लिए शांति मिली। लेकिन बार-बार यात्रा संभव न होने के कारण उन्होंने घर में ही मजारें बनवा दीं।

घर में बने मंदिर के साथ मजारें भी रखीं, पूजा-पाठ जारी रहा

धीरज के घर में पहले से ही एक मंदिर मौजूद है, जहां उनका परिवार लक्ष्मी जी की पूजा करता है। मजारें घर के एक अलग हिस्से में बनाई गई थीं। धीरज रोज मजार पर फूल चढ़ाता, धूपबत्ती जलाता, और साथ ही मंदिर में भी पूजा करता था। धीरज ने साफ किया कि “मजार के नीचे कोई कब्र नहीं थी”, और “मेरा धर्म बदलने का सवाल ही नहीं उठता।”

“मुस्लिम नहीं बना, सिर्फ आत्मिक समाधान की कोशिश थी”: धीरज

धीरज ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा, “मैं हिंदू हूं और हमेशा हिंदू रहूंगा। मैंने मजारें अपनी बहन की आत्मा की शांति और घर की सुरक्षा के लिए बनवाई थीं। किसी ने कोई दबाव नहीं डाला।”
धीरज गांव के बाहर चाट का ठेला लगाते हैं, और अपने चार भाइयों और उनके परिवारों के साथ एक ही घर में रहते हैं। परिवार के सभी सदस्य पूरी तरह से हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार जीवन जीते हैं।

गांव में मुस्लिम परिवार केवल एक, ग्रामीणों ने जताया था विरोध

सिबुआ गांव में अधिकतर हिंदू परिवार रहते हैं। गांव में सिर्फ एक मुस्लिम परिवार है, जो ईंट-भट्ठे पर मजदूरी करता है। गांव के लोगों ने धीरज के घर में मजार बनने पर पहले भी विरोध दर्ज कराया था, लेकिन तब धीरज ने किसी की नहीं सुनी। अब मजारें टूटने के बाद गांव में मामला शांत है, लेकिन गांव वालों ने इसे “काला जादू” से जुड़ा मामला बताया है।

अब सिर्फ मंदिर ही बचा है, धीरज को डर- दिक्कतें फिर न लौटें

धीरज के अनुसार, मजारें बनने के बाद परिवार को पूरी तरह से शांति मिली थी। अब जब मजारें टूट चुकी हैं, तो वो फिर से परेशानियों के लौट आने को लेकर चिंतित हैं। धीरज ने उम्मीद जताई कि “अब सब कुछ शांत रहे और परिवार पर कोई संकट न आए।”

आस्था, भय और विरोध की त्रिकोणीय कहानी

पीलीभीत का ये मामला धार्मिक आस्था, सामाजिक दबाव और निजी भय के त्रिकोण को उजागर करता है। जहां एक व्यक्ति ने आत्मिक शांति के लिए मजारें बनवाईं, वहीं सामाजिक बहुमत और संगठनों के विरोध ने उसे मजबूर किया कि वह अपना निर्णय बदल दे। यह मामला भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक तानेबाने और धार्मिक असहिष्णुता बनाम व्यक्तिगत आस्था की गहराई से पड़ताल की मांग करता है।

 

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