योगी सरकार कोविड केयर फंड के पैसे का हिसाब दे: लल्लू

लखनऊ  उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कोरोना महामारी के समय योगी सरकार पर लापरवाह और संवेदनहीन रवैये का आरोप लगाते हुये सवाल किया कि सरकार बताये कि कोविड केयर फंड का पैसा इस मुश्किल समय में कहां खर्च किया जा रहा है।

लल्लू ने रविवार को जारी बयान में कहा कि सरकार के उदासीन रवैये की वजह से लोग कोरोना महामारी से निजी तौर पर अपनी क्षमता से लड़ रहे है। प्रदेश की जनता को सबसे ज्यादा सहयोग करने की जरूरत थी, उस समय योगी सरकार ने अपना भ्रष्टाचार का चेहरा उजागर किया है।

उन्होने कहा कि पिछले साल अप्रैल में सरकार ने कोविड केयर फंड का बनाया था जिसमें आम आदमी का पैसा, विधायकों की विधायक निधि, सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों और प्रदेश के व्यापारी वर्ग से मोटी रकम इस फंड में जबरदस्ती जमा कराया गया। विधायक निधि को एक साल के लिये सस्पेंड कर 2020-21 की विधायक निधि का पैसा, मंत्रियों और विधायकों के वेतन में से 30 प्रतिशत वेतन की कटौती का पैसा आदि कोविड केयर फंड में जमा कराया गया बताया गया कि इसका उपयोग महामारी से लड़ने में किया जाएगा।

महामारी से लड़ने के लिये बनाये गये इस फंड का कोरोना के दूसरी वेब के समय मे कुछ पता नही है| इस फंड का पैसा इस मुश्किल समय में कहां खर्च किया जा रहा है| प्रदेश में लोग ऑक्सीजन, दवाई और स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दम में तोड़ रहे है ऐसे में यूपी कोविड केयर फंड का पता नही। सरकार ने अबतक इस फंड में कितने पैसे जमा हुये, कितना पैसा किस मद में किस माध्यम से खर्च हो रहा है। सरकार नही बता रही है |

उन्होने कहा कि जुलाई 2020 तक यूपी कोविड-केयर फंड में विभिन्न स्रोतों से 412 करोड रुपए जमा हुए इसकी जानकारी स्वयं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने एक प्रश्न के जवाब में लिखित उत्तर में दी। 412 करोड़ में 252 करोड़ विभिन्न कार्यों पर खर्च किए गए इनमें 169.75 दवाएं लेने व चिकित्सा उपकरण और ढांचागत सुविधाएं खरीदने में और प्रवासी श्रमिकों को एक हजार दिए जाने में 83.07 खर्च किए गए। बाकी शेष 160 करोड़ रुपये कहाँ गए उसका आज तक पता नहीं और ना ही इसका जवाब सरकार ने आज तक दिया।

लल्लू ने कहा कि जुलाई 2020 के बाद भी जो धनराशि यूपी कोविड-केयर फंड में जमा हुई उसका भी कोई हिसाब किताब आदित्यनाथ सरकार की तरफ से सार्वजनिक नही किया गया। जिस पैसे का उपयोग लोगों की चिकित्सीय चिकित्सा में किया जाना था उस पैसे का बंदरबांट हुआ,आज उसका नतीजा यह है कि जब दूसरी लहर कोरोना महामारी की हुई सरकार ने प्रदेश के लोगों को उनके हाल पर मरने को छोड़ दिया है।

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