आज योगी आदित्यनाथ का 49वां जन्मदिन , जानें- कैसा रहा है उनका सियासी सफर

नई दिल्लीः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज 49वां जन्मदिवस है. नाथ सम्प्रदाय के अगुवा, गोरक्षपीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने लगातार पांच बार सांसद भी रह चुके हैं. योगी से यूपी की सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाले योगी आदित्‍यनाथ का नाम अजय सिंह बिष्‍ट था. लेकिन नाथ सम्प्रदाय की ओर से दीक्षा लेने के बाद उन्होंने अपना नाम बदल लिया.यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्‍म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम आनन्‍द सिंह बिष्‍ट और माता का नाम सावित्री देवी है. योगी कुल सात-भाई बहन हैं. योगी आदित्यनाथ अपने माता-पिता के पांचवें संतान हैं. मात्र 22 साल की उम्र में वह योगी बन गए.

‘गणित से मास्टर हैं योगी आदित्यनाथ”

गढ़वाल विश्‍वविद्यालय से गणित से बीएससी करने वाले योगी आदित्यनाथ साल 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गोरखपुर पहुंचे. 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ से दीक्षा लेकर घर को छोड़ दिया और योगी बन गए.साल 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया. इसके अलावा उन्होंने योगी आदित्तयनाथ को लोकसभा प्रत्याशी भी घोषित कर दिया. जिसके बाद हुए चुनाव में वह मात्र 26 साल की ही उम्र में जीतकर हासिल कर संसद भवन पहुंचे. पहले ही चुनाव में जीत दर्ज करने वाले योगी आदित्यनाथ को सबसे कम उम्र में सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ.

‘विवादों से हुआ सामना’

समय के साथ योगी आदित्यनाथ की ख्याति भी बढ़ती चली गई. मुख्यमंत्री बनने से पहले उनका विवादों के साथ चोली दामन का साथ रहा है. 10 फरवरी, 1999 में महाराजगंज जिले के थाना कोतवाली स्थित पचरुखिया कांड ने योगी को और चर्चा में ला दिया था. इसी कांड के बाद से उनके ऊपर कई बार एक धर्म के विरोधी और सांम्प्रदायिक भाषण देने का आरोप लगा. गोरखपुर में हुए संप्रदायिक दंगों के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा.

लोकसभा चुनाव लगातार पांच बार जीते 

इसी दौर में योगी आदित्यनाथा ने हिन्दू युवा वाहिनी और बजरंग दल जैसे संगठनों को मजबूती दी. योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुत्व और विकास का झंडा बुलंद किया. साल 2007 के विधानसभा चुनाव और 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने बगावती तेवर भी दिखाए.

योगी आदित्यनाथ ने साल 1998, 99, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार पांचवी जीत हासिल की. साल 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली जीत के बाद उन्हें मुख्यमंत्री चुना गया और 19 मार्च 2017 को उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली.

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