BJP कार्यकर्ता के घर शोक जताने से नहीं, बल्कि निहंगों के दबाव में किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को सस्पेंड किया

पॉलिटिकल एनालिस्ट से किसान नेता बने योगेंद्र यादव को कल संयुक्त मोर्चे ने एक महीने के लिए सस्पेंड कर दिया है। उन पर आरोप है कि वे लखीमपुर खीरी मामले में आरोपियों के घर पहुंच गए। योगेंद्र यादव ने भी इस सस्पेंशन को स्वीकार किया। हालांकि उन्होंने अपने बयान में इशारों ही इशारों में यह भी साफ कर दिया कि उन्होंने मृतक शुभम मिश्रा के घर जाकर कोई गलत काम नहीं किया है। उन्होंने ‘संवेदनशीलता’ और ‘इंसानियत’ का हवाला देते हुए इसे ठीक ठहराया। हां, ये जरूर कहा कि उन्हें वहां जाने का फैसले करने से पहले किसान दलों से पूछना चाहिए था।

क्या बात इतनी भर है?
तो जवाब यह है कि बात इससे कहीं आगे की है। योगेंद्र यादव 12 अक्टूबर को लखीमपुर हिंसा के मृतक आरोपी के घर सहानुभूति जताने गए, लेकिन इस क्रिया कि प्रतिक्रिया आने में 10 दिन से भी ज्यादा का समय लग गया। अगर किसान नेता उनसे नाराज थे तुरंत ही उन्हें हटाया जा सकता था, लेकिन दरअसल उनसे किसान नेता नहीं बल्कि निहंग दल नाराज थे। निहंग दलों ने किसान नेताओं से दो टूक कह दिया था। या तो हमारे खिलाफ बयानबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो या फिर हमें यहां से जाने की इजाजत दे दी जाए।

निहंग नेता ने कहा-हम यहां आए नहीं बुलाया गया

योगेंद्र यादव लखीमपुर हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ता शुभम मिश्रा के घर गए थे और परिवारवालों से मिलकर संवेदना प्रकट की थी।

निहंग तरना दल के जत्थेदार स्वर्णजीत सिंह ने बताया, ‘हम चाहते हैं कि किसान आंदोलन सफल हो। हम यहां किसानों की सुरक्षा के लए डंटे हैं। हम खुद नहीं आए, हमें तो बुलाया गया था। किसान दल जानते हैं कि हमारे रहते उनका प्रशासन बाल भी बांका नहीं कर सकता। सरकार को भी पता है कि निहंगों से पंगा लेना बहुत मुश्किल में डाल देगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता कि निहंग अपनी जान पर खेलकर सुरक्षा भी करें और कुछ किसान नेता उनके खिलाफ भी बोलें।

क्या किसान नेता से आपका मतलब योगेंद्र यादव के निहंगों द्वारा की गई लखबीर की हत्या पर बयानबाजी से है? वे कहते हैं, ‘हां, उन्होंने निहंगों के खिलाफ बयान दिया था। उसी वक्त हमने संयुक्त मोर्चे में शामिल किसान दलों से कह दिया था कि आप लोग बताएं हमें यहां रहना है या नहीं! अगर रहना है तो फिर योगेंद्र यादव के खिलाफ कार्रवाई की जाए।’

इस मामले को लेकर 27 अक्टूबर को एक बैठक के आयोजन की घोषणा भी निहंग दलों ने कर दी थी। निहंगों के दो सबसे बड़े दल बुड्ढा दल और तरना दल दोनों ने ही इस बैठक में किसान नेताओं से दो टूक बात कर धरना स्थल में रहने या न रहने का फैसला लेने की बात कही थी। इस बीच किसान नेताओं ने निहंगों को मनाने की भी खूब कोशिश की, लेकिन निहंगों की जिद के सामने किसान नेताओं की नहीं चली। आखिरकार योगेंद्र यादव के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी।

तो अब आगे क्या?
तरना दल के जत्थेदार स्वर्णजीत सिंह कहते हैं कि निहंग नेता आज या कल में आंतरिक बैठक करेंगे। हम आपस में तय करेंगे कि अब हमें यहां रहना है या नहीं। सभी निहंग नेता यादव के खिलाफ इतनी कार्रवाई से संतुष्ट हैं या नहीं! अगर सब राजी हुए तो फिर 27 अक्टूबर की बैठक नहीं होगी। नहीं हुए तो फिर बैठक होगी।

दरअसल 16 अक्टूबर को किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि निहंगों को सजा मिलनी चाहिए और उन्हें सिंघु बॉर्डर से हट जाना चाहिए।

वे कहते हैं कि आगे के लिए भी हम स्पष्ट करें कि हमारा समर्थन और हमारे खिलाफ बयानबाजी साथ नहीं चल सकते। किसान नेताओं से हम कहेंगे कि इस बात को लेकर सभी के बीच बैठक हो कि निहंग धरने का हिस्सा हैं। इसको लेकर किसान नेताओं के बीच दुविधा नहीं होनी चाहिए।

सिंघु बॉर्डर में किसानों को निहंगों की जरूरत क्यों?
सिंघु बॉर्डर पर इस वक्त तकरीबन 250 निहंग मौजूद हैं। उनके पास बड़ी मात्रा में तलवार और कटारी हैं। बुड्ढा दल के निहंग नेता शमशेर सिंह कहते हैं कि किसान नेता बेचारे डरे हुए हैं, कभी भी सरकार इनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। इस आंदोलन को खत्म करने के लिए साजिश की जा सकती है। यहां साजिश के तहत हिंसा को भी अंजाम दिया जा सकता है। इसलिए सख्त पहरे और निगरानी की जरूरत है। जरूरत पड़ने पर इस आंदोलन को खत्म करने की साजिश करने वालों से मोर्चा लेने की भी जरूरत पड़ सकती है। हम हथियारों के साथ पूरी तरह तैयार हैं।’

किसान नेता क्या लखबीर की हत्या और फिर पोल्ट्री फार्म के एक व्यक्ति के साथ की गई क्रूरता के पक्ष में हैं? शमशेर सिंह जवाब देते हैं, ‘दोनों घटनाओं के बाद हमसे कुछ नहीं कहा गया। हमने भी कुछ पूछा नहीं। अगर हमारा तरीका उन्हें ठीक नहीं लगता तो वे हमसे सवाल करते। पर किसी ने कुछ नहीं पूछा।’

योगेंद्र यादव ने क्या कहा था ?
दलित युवक लखबीर की निहंगों द्वारा क्रूरतापूर्ण हत्या के दूसरे दिन ही 16 अक्टूबर को किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था, ‘निहंगों को सजा मिलनी चाहिए, अब उन्हें बॉर्डर से हट जाना चाहिए।’ इस पर संयुक्त मोर्चा ने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी थी। योगेंद्र यादव ने यह बयान संयुक्त मोर्चा के एक नेता के तौर पर दिया था। लिहाजा निहंग दलों ने किसान नेताओं को चेतावनी दी थी कि अगर इस तरह की बयानबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे बॉर्डर खाली कर देंगे।

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