92 साल की उम्र में लड़ेंगे राष्ट्रपति का चुनाव, विपक्ष का हंगामा.. क्या बन पाएंगे दुनिया के सबसे बुजुर्ग प्रेसिडेंट ?

कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया, जो वर्तमान में दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष हैं, एक बार फिर 7 साल के कार्यकाल के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। 92 वर्षीय बिया की इस घोषणा से न केवल देश के राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसे लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। पॉल बिया 1982 से सत्ता में हैं और उन्होंने अब तक 40 साल से ज़्यादा समय कैमरून की बागडोर संभाली है।
कैमरून में लंबे समय से सत्ता पर काबिज हैं पॉल बिया
पॉल बिया का जन्म 13 फरवरी 1933 को हुआ था। वह पहली बार 1982 में कैमरून के राष्ट्रपति बने थे और तब से अब तक लगातार सत्ता में बने हुए हैं। वर्तमान में उनका कार्यकाल 2025 तक है, लेकिन अब उन्होंने संकेत दिए हैं कि वह फिर से राष्ट्रपति चुनाव में उतरेंगे। इससे स्पष्ट है कि अगर वह अगला चुनाव जीतते हैं तो वह 99 साल की उम्र तक राष्ट्रपति बने रह सकते हैं।
विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया, ‘परिवर्तन की आवश्यकता’ की मांग
पॉल बिया की फिर से चुनाव लड़ने की संभावनाओं पर विपक्ष ने नाराज़गी जताई है। कैमरून में विपक्षी दलों और नागरिक समाज ने खुलकर कहा है कि अब देश को बदलाव की ज़रूरत है। उनका कहना है कि बिया के नेतृत्व में लोकतंत्र कमजोर हुआ है, मानवाधिकारों का हनन हुआ है और युवाओं की आवाज़ दबाई गई है।
लंबे शासनकाल के दौरान बिया पर लगे कई आरोप
पॉल बिया का शासनकाल विवादों से भरा रहा है। उन पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने चुनावों में धांधली की, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला और विपक्षी नेताओं को जेल में डाला। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी कैमरून में प्रेस की आज़ादी, इंटरनेट शटडाउन और सैन्य दमन की घटनाओं को लेकर चिंता जताई है।
स्वास्थ्य पर भी उठे सवाल, उम्र को लेकर बहस तेज
92 साल की उम्र में फिर से राष्ट्रपति बनने की मंशा पर सवाल उठना लाजमी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी अधिक उम्र में कोई व्यक्ति एक पूरे देश का नेतृत्व कैसे कर पाएगा, यह विचारणीय विषय है। हालांकि बिया की पार्टी का दावा है कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम हैं।
कैमरून की जनता के सामने बड़ा सवाल
अब जब कैमरून में 2025 में चुनाव होने हैं, जनता के सामने यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि वे एक बार फिर पॉल बिया को मौका दें या बदलाव को चुने। बिया की चुनावी रणनीति और विपक्ष की एकजुटता कैमरून के भविष्य की दिशा तय करेगी।
बुज़ुर्ग राष्ट्रपति या नई पीढ़ी का नेतृत्व?
पॉल बिया की वापसी की मंशा ने एक बार फिर सत्ता बनाम बदलाव की बहस को जन्म दे दिया है। एक ओर जहां अनुभव और स्थायित्व की बात की जा रही है, वहीं दूसरी ओर युवाओं और लोकतंत्र की दुहाई दी जा रही है। आने वाला चुनाव कैमरून के लिए ऐतिहासिक हो सकता है।