डॉक्टरो ने किया भ्रूण को मृत घोषित.. महिला ने सड़क पर दिया स्वस्थ बच्चे को जन्म, गलती या सिस्टम की लापरवाही?

झारखंड के दुमका ज़िले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और चिकित्सा तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक गर्भवती महिला को अस्पताल ने यह कहकर लौटा दिया कि उसके पेट में पल रहा बच्चा मर चुका है। लेकिन महिला ने कुछ ही घंटों बाद अस्पताल के बाहर जिंदा बच्चे को जन्म दे दिया।
दुमका मेडिकल कॉलेज में कथित लापरवाही
डॉक्टरों ने बिना पुख्ता जांच के दे दिया मृत भ्रूण का दावा
पूरा मामला दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल का है, जहां 30 वर्षीय गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए लाया गया था। लेकिन अस्पताल के स्टाफ ने अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच के बाद कहा कि भ्रूण की धड़कन नहीं है और उसे मृत घोषित कर दिया। इस पर परिजनों को कहा गया कि महिला को वापस ले जाएं क्योंकि अब कुछ नहीं किया जा सकता।
अस्पताल के बाहर महिला ने दिया बच्चे को जन्म
भीषण दर्द के बीच सड़क पर हुआ प्रसव, बच्चा निकला स्वस्थ
अस्पताल से लौटने के बाद महिला की हालत बिगड़ती गई और उसे जोर-जोर से प्रसव पीड़ा होने लगी। ऐसे में अस्पताल के बाहर सड़क किनारे उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, जिसे देखकर लोग हैरान रह गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि बच्चे की हालत बिल्कुल सामान्य और स्थिर थी, यानी वह मृत नहीं था।
स्वास्थ्य महकमे में मचा हड़कंप
वरिष्ठ अधिकारी ने दिए तत्काल जांच के आदेश
जैसे ही मामला मीडिया और सोशल मीडिया पर सामने आया, स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “सरकारी अस्पतालों का काम मरीजों को कम कीमत पर बेहतरीन इलाज मुहैया कराना है, लेकिन यहां कथित तौर पर इससे इनकार किया गया। मैंने जांच के आदेश दे दिए हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि दोषी पाए जाने वाले कर्मचारियों और डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
लापरवाही या सिस्टम फेलियर?
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर उठे सवाल
इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ताहाली को उजागर कर दिया है। जानकारों का मानना है कि यह मामला केवल लापरवाही नहीं बल्कि चिकित्सा तंत्र की गहरी खामी को दर्शाता है। एक ओर तो महिलाओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को लेकर सरकार जागरूकता चला रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं सारी कोशिशों पर पानी फेर देती हैं।