क्या ताइवान के साथ वही हीग जो अफ़ग़ानिस्तान के साथ हु

क्‍या अफगानिस्‍तान की तरह ताइवान भी ढह जाएगा, जानें क्‍यों उठा ये सवाल, देश की सुरक्षा पर PM सु त्‍सेंग चांग का बड़ा बयान

अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना की वापसी और अफगान सरकार की हार ने ताइवान में इस बात पर चर्चा शुरू कर दी है कि चीनी आक्रमण की स्थिति में क्या होगा। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या संयुक्त राज्य अमेरिका ताइवान की रक्षा में मदद करेगा।
 अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सेना की वापसी और अफगान सरकार की हार ने ताइवान में इस बात पर चर्चा शुरू कर दी है कि चीनी आक्रमण की स्थिति में क्या होगा। यह भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या संयुक्त राज्य अमेरिका ताइवान की रक्षा में मदद करेगा। बता दें कि ताइवान-अमेरिका के बीच सामरिक सुरक्षा पर करार है। इस समझौते के तहत ताइवान पर जब भी सुरक्षा का खतरा होगा, अमेरिका उसकी मदद में आगे आएगा। इसलिए यह सवाल और भी अहम हो जाता है। उधर, अफगानिस्‍तान समस्‍या को लेकर अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि अफगानिस्‍तान में वह अपने सैनिकों को असुरक्षित नहीं छोड़ सकते। उनका यह भी कहना है कि इस समस्‍या के लिए अफगान सरकार दोषी है, वह मैदान छोड़कर भाग गई। इसलिए अब यह सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या अमेरिकी सैनिक ताइवान को चीन से बचा पाएंगे।

ताइवान के प्रीमियर चीन को अप्रत्‍यक्ष चुनौती दी

अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी और तालिबान के प्रभुत्‍व के बाद ताइवान के प्रधानमंत्री सु त्‍सेंग चांग का एक बड़ा बयान सामने आया है। उन्‍होंने चीन को अप्रत्‍यक्ष चेतावनी देते हुए कहा कि बीजिंग को ताइवान पर कब्‍जे का भ्रम नहीं पालना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमले की स्थिति में ताइवान की स्थिति अफगानिस्‍तान की तरह नहीं होगी। उन्‍होंने कहा कि ताइवान अपनी सुरक्षा करना जानता है। ताइवान पीएम का यह बयान ऐसे समय आया है जब अफगानिस्‍तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी हो रही है और तालिबान लड़ाकों के आगे अफगान सेना ने अपने हथियार डाल दिए हैं।

देश की रक्षा करने के लिए हम दृढ़ संकल्पित

यह पूछे जाने पर कि क्‍या अफगानिस्‍तान के राष्‍ट्रपति की तरह ताइवान के प्रधानमंत्री भी दुश्‍मन के समक्ष घुटने टेक देंगे। क्‍या वह देश छोड़कर भाग जाएंगे। सु ने कहा कि ताइवान में 1949 से 1987 तक मार्शल लॉ था, देश में तानाशाही थी, लेकिन उनको न तो गिरफ्तारी से डर लगता है और न ही मौत से। उन्‍होंने कहा कि तब के ताइवान में और आज के ताइवान में बहुत बदलाव आया है। हम एक शक्तिशाली देश हैं। उन्‍होंने चीन की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो सेना और बल के जरिए हम पर अपना प्रभुत्‍व कायम करना चाहते हैं, वह भ्रम में हैं। उन्‍होंने कहा कि देश की रक्षा करने के लिए हम दृढ़ संकल्पित हैं।

ताइवानी एकता में है दम, अपनी रक्षा स्‍वयं करने में सक्षम

प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान में जो हुआ उससे यह पता चलता है कि अगर कोई देश आंतरिक अराजकता के दौर से गुजर रहा है तो, किसी भी बाहरी मदद से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्‍होंने कहा कि ताइवानियों को अपनी जमीन पर विश्वास करना होगा और वे इसकी रक्षा कर सकते हैं। ताइवान पीएम ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार को तेजी से नियंत्रित किया गया है। इस मामले में हमने यह दिखा दिया है कि ताइवान के एकजुट होने पर क्या हासिल किया जा सकता है। उन्‍होंने विदेशी ताकतों को आगह करते हुए कहा कि ताइवान पर आक्रमण करना या उस पर प्रभुत्‍व कायम करने की सोचना एक भ्रम है।

ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में उठाए सवाल

गौरतलब है कि मंगलवार को चीन के ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में कहा है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना का जाना सु त्साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (डीपीपी) के लिए एक सबक है। इसमें कहा गया है कि अफगानिस्तान में जो कुछ हुआ, उससे उन्हें यह समझना चाहिए कि एक बार ताइवान में युद्ध छिड़ने पर, द्वीप की रक्षा घंटों में ध्वस्त हो जाएगी और अमेरिकी सेना मदद के लिए नहीं आएगी। चीनी अखबार ने कहा कि वे घबरा गए होंगे और अफगानिस्‍तान की घटना को अशुभ महसूस कर रहे होंगे। वे आतंरिक रूप से बेहतर जानते होंगे कि अमेरिका कतई विश्वसनीय नहीं है। संपादकीय में आगे कहा गया है कि अलगाववादी ताकतों को अपने सपनों से जागने की क्षमता रखनी चाहिए।

अमेरिका ताइवान का अंतरराष्ट्रीय समर्थक और हथियार आपूर्तिकर्ता

गौरतलब है कि दुनिया के अधिकांश देशों की तरह अमेरिका का भी ताइवान के साथ कोई आधिकारिक राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन वह इसका सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समर्थक और हथियार आपूर्तिकर्ता है। ताइवान की लंबे समय से यह चिंता रही है कि चीनी हमले की स्थिति में अमेरिका का उसका कितना साथ निभाएगा।

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