क्या अखिलेश को छोड़कर प्रियंका गांधी संग जाएंगे जयंत चौधरी? जानें पूरा गणित

लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election- 2022) की सियासी सरगर्मियों के बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक गठजोड़ और सियासी समीकरण भी सेट किए जाने लगे हैं. ऐसे में हर राजनीतिक दल और नेता की छोटी-बड़ी हर गतिविधि सुर्खियां बटोर रही है. उनके राजनीतिक निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं. इसी क्रम में रविवार को लखनऊ एयरपोर्ट पर रालोद के जयंत चौधरी और प्रियंका गांधी के बीच मुलाकात हुई तो पश्चिमी यूपी के समीकरणों को लेकर नए सिरे से चर्चाएं तेज हो गईं. वैसे लखनऊ एयरपोर्ट पर प्रियंका-जयंत की मुलाकात पहले से कोई कार्यक्रम नहीं था. यह मुलाकात महज एक संयोग बताई जा रही है. हालांकि बाद में रालोद नेता शाहिद सिद्दकी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस मुलाकात के राजनीतिक मायने न निकाले जाएं. कांग्रेस से हमारे रिश्‍ते अच्‍छे रहे हैं और आगे भी मुलाकातें होती रहेंगी.

जानिए क्या है पश्चिम यूपी समीकरण!
पश्चिम यूपी के 15 जिलों की कुल 71 में से 51 सीटों पर जाट वोटों का दबदबा है. 2013 के मुजफ्फरनगर दंगे के बाद भाजपा को जाट वोटों को अपने साथ जोड़ने में कामयाबी मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 71 में से 52 सीटें जीत ली थीं. जबकि किसी जमाने में जाटों की रहनुमाई के लिए जानी जाने वाली रालोद के हाथ सिर्फ बड़ौत की एक सीट आई थी. वहां से जीते पार्टी विधायक ने भी बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था. पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से बचीं वेस्‍ट यूपी की 19 सीटों पर ही सपा, बसपा और निर्दल उम्‍मीदवार को संतोष करना पड़ा था. जबकि सपा के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी कांग्रेस के हाथ कोई सीट नहीं आई थी. जाहिर, 2017 का चुनाव वेस्‍ट यूपी में भाजपा की जड़ें गहरी कर गया था लेकिन इस बार किसान आंदोलन के चलते समीकरण गड़बड़ाते नज़र आ रहे हैं. भाजपा जहां किसानों की नाराजगी और जाट वोटों के कटने के अंदेशे के चलते छोटी-छोटी जातियों को सहेजने के विकल्‍प पर काम कर रही है. वहीं सपा, बसपा, कांग्रेस और रालोद भी अपने-अपने समीकरणों को दुरुस्‍त करने में जुटे हैं.

किसान आंदोलन और लखीमपुरी खीरी कांड?
विपक्ष को लग रहा है कि किसान आंदोलन और खासकर लखीमपुरी खीरी कांड के बाद जाट, भाजपा से दूर हुए हैं. विधानसभा चुनाव में वे भाजपा विरोधी गठबंधन के साथ आ सकते हैं. जाटों के साथ मुसलमानों के वोट भी जुट जाएं तो कई सीटों पर निर्याणक स्थिति बन सकती है. यही सोचकर सपा और रालाेद करीब आए हैं. दोनों का गठबंधन है लेकिन उनके बीच सीटों का बंटवारा फिलहाल नहीं हुआ है. उधर, कांग्रेस को यूपी में किसी मजबूत सहयोगी की तलाश है. हाल ही में यूपी के पर्यवेक्षक और छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने छोटे दलों को ऑफर दिया है. इस बीच रविवार को संयोग से ही सही लखनऊ एयरपोर्ट पर जयंत चौधरी और प्रियंका गांधी की मुलाकात हुई तो अटकलें तेज हो गईं.

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