मृत सागर और मसाडा पूरे इजराइल में सबसे प्रतीत आत्मक स्थलों में से एक क्यों है ?

इजराइल: पहाड़ों, किलों और रेगिस्तानों को देखने का अपना अलग ही मजा है और अलग सुख भी है। जिस तरह से भारत के लोग गरमियों में शिमला, मनाली या मसूरी जैसी जगहों पर जाकर लुत्फ उठाते हैं, ठीक उसी तरह से इजराइल में मसाडा एक ऐसी जगह है जहां जाकर लोग एक नई सभ्यता से परिचित होते हैं। मसाडा का हिब्रू भाषा में अर्थ है-किला। यह इजराइल के दक्षिणी जिले में एक बहुत ही पुराना किला है जो एक बहुत बड़े चट्टानी पठार के ऊपर स्थित है।

जुडियन रेगिस्तान के पूर्वी किनारे पर अवस्थित यह किला अराद से लगभग 20 किमी पूर्व में मृत सागर यानि डेड सी की ओर तक है। इसलिए जो भी यहां आता है, वह किले को देखते-घूमते हुए ही डेड सी तक पहुंच जाता है। कहते हैं कि हेरोदेस नामक एक महान व्यक्ति ने इस पहाड़ पर दो महल बनवाए थे। वही आज पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है। मसाडा इजराइल के सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। येरुशलम के बाइबिल चिड़ियाघर के बाद दूसरा सबसे लोकप्रिय चिड़ियाघर मसाडा में ही है।मसाडा किले का सौंदर्य अपने आप में इतना आकर्षक है कि इसे बार-बार निहारते रहने का मन करता है।

उस पूरे क्षेत्र की अपनी चुनौतियां और एक अलग संघर्ष भी रहा है जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है। लेकिन आज वर्तमान में वहां विभिन्न धर्म, जाति और संस्कृतियां अपने तमाम मतभेदों के बावजूद एक साथ एकता के सूत्र में बंधकर रहती हैं।मसाडा के ऊबड़-खाबड़ पथरीले-सर्पीले रास्ते पांव को थका देते हैं, लेकिन आंखों को नहीं थका पाते। उन पथरीले-सर्पीले रास्तों से होकर ही किले के शिखर तक चढ़ना होता है। वहां से आस-पास की बसावट को देखना कुछ ऐसा ही रोमांचकारी है, जैसा कि फतेहपुर सीकरी के बुलंद दरवाजे से उस शहर को देखना। मसाडा की खूबसूरती को निहारते हुए धीरे-धीरे सैलानी आगे बढ़ते हैं और फिर पहुंच जाते हैं डेड सी के किनारे, जहां से हर तरफ रेगिस्तान का नजारा दिखाई देता है।

जूडियन रेगिस्तान का यह दृश्य राजस्थान के भव्य रेगिस्तानी दृश्यों की तरह ही एक अद्भुत विरासत समेटे हुए है। जाहिर है, इसका अपना ऐतिहासिक महत्व तो है ही। डेड सी के साल्ट डेजर्ट के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर भारतीय सैलानी ऐसे डूबने लगते हैं जैसे कि राजस्थान के कच्छ के रण के खारेपन में तैर रहे हों। गौरतलब है कि डेड सी की रेत, मिट्टी और कहीं-कहीं मिलने वाले पानी में विभिन्न औषधीय गुण पाए जाते हैं।

भोजन, वास्तुकला और सांस्कृतिक विविधता के मामले में इजराइल और भारत के बीच अनेक समानताएं दिखती हैं। किसी भी यात्री के लिए इजराइल की यात्रा करना केवल एक भौतिक या भौगोलिक यात्रा नहीं होती है, बल्कि एक सांस्कृतिक खोज भी होती है, जो यह साबित करती है कि कोई यात्रा जितनी शरीर की यात्रा होती है, उतनी ही वह आत्मा की भी होती है।

बहरहाल, तमाम राजनीतिक मतभेदों के बावजूद भारत और इजराइल सांस्कृतिक समृद्धि, ऐतिहासिक महत्व और एकता की भावना के स्तर पर समान नजर आते हैं, इसलिए भी इन दोनों के बीच की दोस्ती अटूट जान पड़ती है।

नोट –यह लेख वरिष्ठ पत्रकार आकाश कुमार के द्वारा लिखा गया है।

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