शिवपाल यादव विरोधियों के बजाए क्यों साधते है अखिलेश यादव पर निशाना!

जहां शिवपाल यादव को बीजेपी व योगी सरकार के खिलाफ तर्क रखने चाहिए वही शिवपाल यादव अपनी नाराजगी को एक दूसरी ही सीमा

राजनीति चाहे देश की हो या प्रदेश की नियम एक ही है विरोधियों पर वार करना लेकिन उस राजनीति को आप क्या कहेंगे जहां पार्टी के नेता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर ही निशाना साधते हैं और विरोधियों के मामले में अंधे बन जाते हैं।
बात हो रही है अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की . शिवपाल यादव की छवि इंद्रधनुष की तरह है जो हर वक़्त बदलती रहती है लेकिन हां इसके पीछे उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ एक ही है सत्ता में खुद की और आने वाली अपनी पीढ़ी की जगह बनाना शुरुआती दौर में जब शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के कोर नेता थे तब उन्हें अक्सर भाजपा पर निशाना साधते हुए देखा गया है लेकिन जब से पार्टी में अखिलेश यादव को प्राथमिकता दी गई तब से शिवपाल यादव का मानो मन ही उतर गया शिवपाल यादव पार्टी में रहते हुए भी पार्टी के खिलाफ ही बोलते नजर आ रहे हैं!
कवि शिवपाल कभी शिवपाल यादव अखिलेश यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना देते हैं तो कभी उन्हें अपना नेता स्वीकार करने से ही मना कर देते हैं।

और जब शिवपाल यादव का समाजवादी पार्टी से मन उठ जाता है तो वह समाजवादी पार्टी के खिलाफ ही बोलना शुरू कर देते हैं और सालों की राजनीति को भूल जाते हैं। विरोधियों पर वार करना राजनीति का एक बहुत बड़ा नियम है और शिवपाल यादव इस मामले में मौन व्रत धारण कर लेते हैं ,जहां शिवपाल यादव को बीजेपी व योगी सरकार के खिलाफ तर्क रखने चाहिए वही शिवपाल यादव अपनी नाराजगी को एक दूसरी ही सीमा पर लेकर चले गए और खुद की ही पार्टी के खिलाफ अपनी टिप्पणियां देते रहते ऐसे में कई विश्लेषक कहते हैं कि शिवपाल यादव बीजेपी के एजेंट है जो समाजवादी पार्टी में बैठे हुए हैं तो वहीं कुछ लोगों का ऐसा कहना है कि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी में विभीषण का काम कर रहे हैं लेकिन वही अगर बात करें अखिलेश यादव की अखिलेश यादव शिवपाल यादव को कुछ ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं अखिलेश यादव शिवपाल यादव की रणनीति को अच्छे से समझ चुके हैं इसलिए बीच में ऐसी बातें नहीं आई थी समाजवादी पार्टी की बाते बीजेपी तक पहुंच रही हैं और इसके बाद से शिवपाल यादव को सपा की किसी भी बड़े मीटिंग या प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपना सहयोग देते हुए नहीं देखा गया है।

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