अखिलेश यादव ने क्यों छोड़ी आजमगढ़ की सीट चुना करहल, अब किया बड़ा खुलासा

जानिए क्यों अखिलेश यादव ने क्यों छोड़ी आजमगढ़ की सीट चुना करहल

लखनऊ: सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद में चर्चा में हैं अखिलेश यादव ने बुधवार को ट्वीट करके ऐलान किया है कि वह यूपी विधानसभा में करहल सीट  का प्रतिनिधित्व करेंगे, हालांकि एक दिन पहले ही अखिलेश यादव ने आजमगढ़ संसदीय सीट से इस्तीफा दिया तो ये बात साफ हो गई थी. अब माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ही विधानसभा में सपा के विधायक दल के नेता बनेंगे, हालांकि इसका ऑफिशियल ऐलान होना बाकी है. आज बुधवार को अखिलेश यादव ने ट्वीट कर करहल से प्रतिनिधित्व को जन आंदोलन का जनादेश करार देते हुए इसका मान रखने की बात कही है. इसके साथ ही आजमगढ़ से इस्तीफा देने की बात पर साफ किया संघर्ष के लिए ये त्याग जरूरी है.

अखिलेश यादव ने किया ट्वीट

अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है,, “विधानसभा में यूपी के करोड़ों लोगों ने हमें नैतिक जीत दिलाकर ‘जन-आंदोलन का जनादेश’ दिया है. इसका मान रखने के लिए मैं करहल का प्रतिनिधित्व करूंगा व आज़मगढ़ की तरक़्क़ी के लिए भी हमेशा वचनबद्ध रहूंगा. महंगाई, बेरोज़गारी और सामाजिक अन्याय के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए ये त्याग ज़रूरी है.”

बता दें अखिलेश यादव ने मंगलवार को ही लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात कर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया है. अखिलेश यादव की तरह सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने भी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी है. अब अखिलेश करहल से विधायक हैं, जबकि आजम खान रामपुर से विधायक हैं. आजम खान ने जेल से ही यूपी विधानसभा चुनाव लड़ा था और भाजपा के आकाश सक्सेना को 55 हजार वोटों के अंतर से हराया था.

पहली बार चुनाव में उतरने का किया था फैसला-अखिलेश यादव

विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद ही अखिलेश ने पहली बार चुनाव में उतरने का फैसला किया था. उन्होंने अपने लिए मैनपुरी की करहल सीट चुनी थी. इस सीट पर चुनाव तब और भी दिलचस्प हो गया था, जब भाजपा ने अपने सांसद व केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल को अखिलेश के खिलाफ उतार दिया. चुनाव के दौरान खुद मुलायम सिंह यादव अखिलेश का प्रचार करने पहुंचे थे.

हालांकि यादव परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर एसपी सिंह बघेल ज्यादा कुछ नहीं कर सके और अखिलेश यादव ने उन्हें आसानी से 66 हजार वोटों से हरा दिया. वहीं यूपी चुनाव में सपा को इस तरह की सफलता नहीं मिली. सपा गठबंधन 125 सीटें ही जीत सकी, वहीं बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज करते हुए दोबारा सत्ता हासिल कर ली. चुनाव परिणाम आने के बाद अखिलेश के प्रतिनिधित्व को लेकर तमाम कयास लगाए जा रहे थे हालांकि कयासों पर अब विराम लग चुका है.

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