बाइडेन की साख क्यों घटी ?

फौज वापसी की रणनीति पर सैन्य अफसरों, विपक्षी दल से लेकर खुद की पार्टी के निशाने पर राष्ट्रपति बाइडेन; मिड टर्म चुनाव में हार का खतरा बढ़ा

लोग इस बात को मजबूती से कह रहे हैं कि अफगानिस्तान में बाइडेन पूरी तरफ से नाकाम रहे हैं।

अमेरिका में तीन हफ्ते पहले तक अफगानिस्तान से सेना बुलाने का समर्थन न केवल डेमोक्रेटिक कर रहे थे, बल्कि विपक्षी पार्टी रिपब्लिकन के ज्यादातर सदस्य कर रहे थे। आज हालात बदल चुके हैं। राष्ट्रपति जो बाइडेन को सेना के दिग्गज, विपक्षी पार्टी और खुद अपनी पार्टी में आलोचना झेलनी पड़ रही है। बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार उनकी रेटिंग 50% से नीचे गिर गई है। इसके चलते अगले साल होने वाले महत्वपूर्ण मिड टर्म चुनाव में पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है।

लगभग हर कोई एक बात को लेकर निश्चित है- अफगानिस्तान से वापसी को लेकर बाइडेन की हैंडलिंग और बेहतर हो सकती थी। कई डेमोक्रेट्स कह रहे हैं कि बाइडेन ने आश्वासन दिया था कि सैनिकों के जाने से पहले कोई भी अमेरिकी नहीं फंसेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अभी भी 100 से अधिक अमेरिकी नागरिक फंसे हैं।

बाइडेन के फैसले पर दो धड़ों में बंटी पार्टी
डेमोक्रेटिक पार्टी में दो विरोधी खेमे बन गए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा समर्थक कई डेमोक्रेटिक नेता सेना को तैनात करने के पक्ष में हैं, वहीं बर्नी सैंडर्स के नेतृत्व में वामपंथी डेमोक्रेटिक नेता इसके खिलाफ है, लेकिन दोनों ही बाइडेन को घेर रहे हैं। बर्नी सेंडर्स धड़े के नेता रो खन्ना ने सेना वापसी को शेखी बघारने जैसा कदम बताया है।

सीनेट की विदेश संबंधी समिति के अध्यक्ष बॉब मेनेंडेज ने कहा, मैं निराश हूं। हमें खुफिया विफलताओं के भयावह परिणाम सामने दिख रहे हैं। सीनेट में सशस्त्र सेवाओं के अध्यक्ष जैक रीड बताते हैं कि हम पता करेंगे कि आखिर गलती कहां हुई। सीनेट की विदेश नीति समिति के सदस्य बेन कार्डिन कहते हैं, ‘अमेरिका के लिए यह एक धब्बा है। इससे हमें नुकसान होगा।’

सैन्य अफसर बोले- बाइडेन ने सबकुछ तबाह कर दिया
सेना बुलाने को लेकर सबसे बड़ा निशाना सेना के पूर्व अफसरों ने साधा है। 2009 में अफगानिस्तान में एक खदान में डैन बर्शिंस्की के पैर उड़ गए थे। उन्होंने दैनिक भास्कर से कहा, ‘मैं इस बात से निराश हूं कि हमारी सरकार के पास कोई योजना नहीं थी। इसलिए हर स्तर पर आलोचना होनी चाहिए।’

अफगानिस्तान में 2012 में अमेरिकी मरीन रहे माइकल बॉयड बताते हैं कि जमीन पर सामरिक हालात के लिए हमेशा कमांडर-इन-चीफ ही जिम्मेदार होता है। इस नाकामी की जिम्मेदारी बाइडेन को लेनी चाहिए। वे बाइडेन के इस तर्क को भी खारिज करते हैं कि अफगानिस्तान से निकलते समय अराजकता की पहले ही आशंका थी। यह बकवास है। 20 साल बाद हमें पीठ नहीं दिखानी चाहिए थी।

अफगानिस्तान और इराक में पूर्व सैन्य अफसरों के संगठन के संस्थापक पॉल रीकऑफ ने कहा कि हम सोचते थे कि बाइडेन के बेटे शहीद हुए थे, इसलिए वह रिपब्लिकन या डेमोक्रेट्स दोनों से अलग होंगे। कई पूर्व सैन्य अफसर मानते हैं कि बाइडेन ने सेना के साथ अच्छे रिश्ते रखे, पर अफगानिस्तान से सेना हटाने की रणनीति ने रिश्तों को तहस-नहस कर दिया।

डेमोक्रेट्स डरे हुए हैं, कह रहे ट्रम्प को बड़ा मुद्दा मिल गया
डेमोक्रेट्स इस बात से डरे हुए हैं कि इस विनाशकारी वापसी ने मिड टर्म चुनाव में उनकी पकड़ कमजोर कर दी है। अधिकांश डेमोक्रेट पत्रकारों को ऑफ द रिकॉर्ड बता रहे हैं कि यह बाइडेन प्रशासन का सबसे कठिन क्षण है। उनका मानना है कि रिपब्लिकन पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन इस वापसी से उनके हाथ एक शक्तिशाली ‘गोला बारूद’ लग गया है।

42% अमेरिकी मानते हैं- जो बाइडेन पूरी तरह नाकाम रहे
सितंबर में हुए ज्यादातर सर्वे में बाइडेन की अप्रूवल रेटिंग 50% से नीचे गिर गई है। 42% लोग इस बात को मजबूती से कह रहे हैं कि अफगानिस्तान में बाइडेन पूरी तरफ से नाकाम रहे हैं। 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए डोनाल्ड ट्रम्प ने बाइडेन पर बढ़त बना ली है। उधर, अब लोग कोरोना पर भी बाइडेन को घेर रहे हैं। यहां रोज 1.5 लाख केस आ रहे हैं और 1500 मौतें हो रही हैं।

Related Articles

Back to top button