कौन थे अखिलेश यादव के गुरु, जिन्होंने दिलाया उन्हे पहला चुनावी टिकट!

अगर टीपू संघर्ष नहीं करेंगे तो नहीं जीतेंगे. लेकिन अखिलेश युवा हैं और वो कन्नौज में पूरी मेहनत करेंगे और सपा जीतेगी.

यह बहुत ही कम लोगों को मालूम है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव  को राजनीति में लाने का श्रेय जनेश्वर मिश्र यानी ‘छोटे लोहिया’ को जाता है. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि मुलायम सिंह यादव  ने जनेश्वर मिश्र की देख-रेख में ही अखिलेश यादव को राजनीति के गुर सीखने की बात कही थी. अखिलेश यादव भी सार्वजनिक मंचों से कई बार कह चुके हैं कि जनेश्वर मिश्र ने जो ट्रेनिंग उनको दी, वह उन्होंने कहीं नहीं सीखी.

1999 में लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव यूपी की 2 लोक सभा सीट (संभल और कन्नौज) से एक साथ चुनाव जीते थे. मुलायम सिंह यादव ने कन्नौज सीट से इस्तीफा दे दिया. मुलायम सिंह के इस्तीफे के बाद कन्नौज सीट खाली हो गई. अब समाजवादी पार्टी किसी ऐसे नेता की तलाश में थी, जो कन्नौज सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सके और जीत की गारंटी हो. समाजवादी पार्टी उम्मीदवार की तलाश में जुटी हुई थी.

उस वक्त तक अखिलेश यादव राजनीति से बेहद दूर थे. उन्हें राजनीति के गुणा भाग से ज्यादा सरोकार नहीं था. इसी बीच मुलायम सिंह यादव के साथ एक बैठक में हिस्सा लेने स्वर्गीय जनेश्वर मिश्र उनके घर पहुंचे. जनेश्वर मिश्र समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक थे और मुलायम सिंह यादव के सबसे विश्वासपात्र नेता थे. जनेश्वर मिश्र ने कन्नौज सीट पर उम्मीदवार की चर्चा मुलायम सिंह यादव के साथ शुरू की. मुलायम सिंह कुछ बड़े चेहरों की चर्चा जनेश्वर मिश्र के साथ कर रहे थे लेकिन जनेश्वर मिश्र किसी नाम पर सहमत नहीं दिखाई दिए. इस बैठक में जनेश्वर मिश्र सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह की बातों को सुनकर मुस्कुरा रहे थे लेकिन अपने पत्ते नहीं खोल रहे थे.

जनेश्वर मिश्र ने आगे किया ‘टीपू’ का नाम

मुलायम सिंह यादव ने पूछा ‘पंडित जी आप कुछ छिपा रहे हैं, आपकी यह मुस्कान बहुत कुछ कह रही है. मुझसे बेहतर आपको कोई नहीं समझ सकता है. आखिर आपने तो हमसे सारे नाम पूछ लिए, पंडित जी अब आप ही बताइए कन्नौज से कौन जीत सकता है? किसे टिकट दिया जाए’?

जनेश्वर मिश्र ने बिना देर किए तुरंत कहा कि टीपू को. मुलायम सिंह इस जवाब पर चौंके. उन्होंने पूछा टीपू- मतलब अखिलेश. जनेश्वर मिश्र ने कहा कि ‘हां, नेता जी… टीपू. अखिलेश यादव को इस बार कन्नौज से लोक सभा का उपचुनाव लड़ाना चाहिए’. मुलायम सिंह यादव ने कहा कि मेरे ऊपर परिवारवाद का आरोप लगेगा अगर मैं अपने बेटे को लोक सभा उपचुनाव का टिकट दूंगा.

मुलायम सिंह यादव के इस तर्क पर जनेश्वर मिश्र ने कहा, ‘नेता जी यह लड़ाई सत्ता के परिवारवाद की नहीं बल्कि संघर्ष के परिवारवाद की है. हम जिस सीट पर अखिलेश यादव को टिकट देने के लिए कह रहे हैं, वो बहुत सुरक्षित सीट नहीं है. अगर टीपू संघर्ष नहीं करेंगे तो नहीं जीतेंगे. लेकिन अखिलेश युवा हैं और वो कन्नौज में पूरी मेहनत करेंगे और सपा जीतेगी. नेताजी कन्नौज से आप अखिलेश का टिकट फाइनल करिए. आप मुझ पर भरोसा करिए, अखिलेश सपा को बहुत आगे ले जाएंगे’.

जनेश्वर मिश्र ने जो जिम्मेदारी अखिलेश यादव को सौंपी थी, 2012 में अखिलेश यादव ने उसे पूरा किया था. 224 सीटों के साथ यूपी में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. लेकिन इस पल के साक्षी जनेश्वर मिश्र नहीं बन पाए थे. 22 जनवरी, 2010 को ही जनेश्वर मिश्र का निधन हो गया था.

अखिलेश यादव ने यूपी का सबसे बड़ा पार्क लखनऊ में बनवाया, जिसका नाम जनेश्वर मिश्र पार्क रखा. उनसे पूछा कि आपके राजनीतिक जीवन में जनेश्वर मिश्र की क्या भूमिका रही है. अखिलेश यादव ने  बताया था कि ‘वो मेरे राजनीतिक गुरु हैं, वो मेरे संरक्षक हैं और मुझे हमेशा सही गलत का फर्क बताया है’.

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