चीन के राष्ट्रपति पर सस्पेंस क्यो:21 महीने गुजरे, देश से बाहर नहीं गए जिनपिंग

सेहत और सियासत दोनों को लेकर कयास

चीन कई साल से अमेरिका की तरह सुपर पॉवर बनने की कोशिश कर रहा है। शी जिनपिंग की अगुआई में उसने दुनिया में कर्ज का जाल बिछा रखा है। छोटे मुल्क इसमें मजबूरियों के चलते फंस जाते हैं। बहरहाल, पिछले करीब एक साल से दुनिया का मीडिया दबे-छिपे या कभी खुले अंदाज में यह सवाल पूछ रहा है कि आखिर शी जिनपिंग कहां हैं?

18 जनवरी 2020 के बाद से दुनिया ने चीन के राष्ट्रपति को साक्षात नहीं देखा है। हां, गाहे-बगाहे वे टीवी के पर्दे पर जरूर नमुदार हुए, लेकिन वो भी बहुत कम। मंगलवार को स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में COP26 समिट समाप्त हुई। जिनपिंग इसमें वर्चुअली भी शामिल नहीं हुए। जाहिर है, सवाल उठेंगे और जरूर उठेंगे। लेकिन, ये भी सही है कि चीन को इनका जवाब जवाब देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

यूरोपीय देशों के साथ समिट के दौरान जिनपिंग।

झूठ भी पकड़ा गया
COP26 समिट का प्रोग्राम काफी पहले से तय था। नरेंद्र मोदी हों या जो बाइडेन। हर बड़ा नेता इसमें शामिल हुआ। अगर कोई नहीं आया तो वो जिनपिंग थे। हैरानी इस बात की भी है कि जिनपिंग ने वर्चुअली भी इस समिट में हिस्सा नहीं लिया, जबकि ये समिट के शेड्यूल में शुमार था। चीन के विदेश मंत्रालय ने इसका बचकाना जवाब दिया। कहा- हमें COP26 के लिए वीडियो लिंक ही नहीं मिला। इसलिए लिखित बयान जारी करना पड़ा। बाद में साफ हो गया कि वीडियो लिंक तो भेजा गया था। सवाल ये है कि आखिर जिनपिंग वीडियो लिंक पर आकर क्यों नहीं जुड़े।

कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, शी शायद इसलिए शामिल नहीं हुए क्योंकि चीन पर कार्बन उत्सर्जन कम करने को लेकर सबसे ज्यादा दबाव है। अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा भारत और यूरोप भी उस पर दबाव बढ़ा सकते थे। हालांकि, यह कमजोर तर्क है, क्योंकि नेट जीरो एमिशन को लेकर तो भारत पर भी दबाव है।

जनवरी 2020 के बाद जिनपिंग बीजिंग से बाहर नहीं निकले। आखिरी बार वो म्यांमार में नजर आए थे। वहां आंग सान सू की से मुलाकात की थी।

आखिरी दौरा म्यांमार का
तारीख थी 18 जून 2020, ये वो दिन था जब जिनपिंग म्यांमार के दौरे पर गए थे और वहां के मिलिट्री नेताओं से मिले थे। तब ये कहा गया था कि चीन इस छोटे से देश को भी अपने कर्ज के जाल में उलझाना चाहता है और फिर उसके जरिए भारत की करीबी सीमाओं पर एक नया मोर्चा खोलना चाहता है। इसके बाद से जिनपिंग कभी बीजिंग के बाहर नहीं निकले।

कयास और सच्चाई
जिनपिंग को लेकर चीन ने अब तक कुछ भी नहीं कहा है। चीन के लिए कदम-कदम पर प्रोपेगैंडा फैलाने वाला सरकारी मीडिया भी चुप है। ऐसे में सवाल लाजिमी है कि जिनपिंग के साथ क्या दिक्कत है? पिछले महीने CNN ने एक मेल के जरिए जिनपिंग के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की थी, लेकिन जवाब नहीं मिला। तीन सवाल खास हैं।

क्या बीमार हैं जिनपिंग: कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि जिनपिंग गंभीर रूप से बीमार हैं, उन्हें चलने और बैठने में दिक्कत है, इसलिए वे देश से बाहर नहीं जा रहे हैं। जनवरी 2020 में उनके कुछ फुटेज सामने आए थे, जहां वे कुछ अनफिट नजर आ रहे थे। कहा जा रहा है कि जिनपिंग किसी नेता से आमने-सामने मुलाकात की स्थिती में नहीं हैं और चलने में हल्की लड़खड़हाट नजर आ रही है। लेकिन, इसकी पुष्टि नहीं हो रही है।सियासत तो वजह नहीं : कहा जा रहा है कि मुल्क के अमीरों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले जिनपिंग के खिलाफा उनकी ही पार्टी में आमराय नहीं है। अलीबाबा के जैक मा और कुछ दूसरे अमीरों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की थी। माना जा रहा है कि जिनपिंग का पार्टी में ही विरोध बढ़ता जा रहा है। यही वजह है कि सियासी लिहाज से भी वो कमजोर होते जा रहे हैं।दुनिया से मतभेद : दक्षिण चीन सागर से लेकर अफ्रीका में जिबूती तक, चीन कहीं न कहीं विवादों में उलझा है। नेपाल और भारत जैसे सीमावर्ती देशों से उसके गहरे मतभेद हैं। पाकिस्तान और चीन के बीच भी अब पहले से दोस्ताना रिश्ते नहीं रहे। चायना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर यानी सीपैक को लेकर लेकर पाकिस्तान में तस्वीर बिल्कुल साफ है कि इसका काम कम से कम दो साल से बंद है। दो महीने पहले दासू डैम प्रोजेक्ट पर जा रहे चीन के 9 इंजीनियर मारे गए थे। इसके बाद से तो हालात काफी खराब हैं।

पत्नी के साथ शी जिनपिंग। (फाइल)

किसके पास कमान
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, अगर कोई विदेशी नेता चीन के दौरे पर जा रहा है तो वहां के विदेश मंत्री वांग यी उससे मुलाकात कर रहे हैं। जिनपिंग इन मीटिंग्स से भी दूर रहे हैं। ऐसे में इन कयासों को और बल मिलता है कि जिनपिंग बीमार हैं अगर नहीं तो वे सामने क्यों नहीं आते।

मार्च 2019 में जिनपिंग इटली दौरे पर गए थे। इसी साल वो रूस के राष्ट्रपति पुतिन से भी मिले थे, दोनों ही मौकों पर वो फिट नहीं दिखे थे। ज्यादातर राष्ट्राध्यक्षों से वे फोन पर बात करते हैं, इसमें भी ज्यादातर वक्त ट्रांसलेटर ही बोलता है।

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