ISRO से कहां हुई चूक? जानें किन वजहों से फेल हो गया अहम मिशन EOS-3

श्रीहरिकोटा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने गुरुवार सुबह अर्थ ऑबजर्सेवेशन सैटेलाइट EOS-3 का सफलतापूर्वक लॉन्च किया लेकिन कुछ देर बाद मिशन झटका लग गया. रॉकेट के क्रायोजेनिक स्टेज में आई तकनीकी खराबी के कारण मिशन पूरा नहीं हो सका. 51.70 मीटर लंबे रॉकेट GSLV0F10/ EOS-3 ने 26 घंटे की उलटी गिनती खत्म होने के तुरंत बाद सुबह 05.43 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ था. लिफ्ट-ऑफ से पहले, लॉन्च ऑथराइजेशन बोर्ड ने योजना के अनुसार सामान्य लिफ्ट-ऑफ के लिए डेक को मंजूरी दे दी. मिशन कंट्रोल सेंटर के वैज्ञानिकों ने कहा कि रॉकेट के पहले और दूसरे स्टेज में सब कुछ सामान्य रहा. कुछ मिनट बाद जब दिक्कत आई तो वैज्ञानिकों ने आपस में चर्चा की. इसके बाद मिशन कंट्रोल सेंटर में रेंज ऑपरेशंस डायरेक्टर द्वारा इसकी घोषणा की गई ‘रॉकेट के परफॉर्मेंस में दिक्कत के कारण मिशन पूरी तरह से पूरा नहीं किया जा सका.’

क्या कहा ISRO चीफ ने?
इस बाबत मिशन कंट्रोल सेंटर में रेंज ऑपरेशंस के निदेशक ने घोषणा की, ‘क्रायोजेनिक स्टेज में दिक्कत पाई गई. मिशन पूरी तरह से सफल नहीं हुआ.’ बाद में ISRO के अध्यक्ष के सिवन ने कहा, ‘ क्रायोजेनिक स्टेज में तकनीकी खराबी की वजह से मिशन पूरी तरह सफल नहीं रहा.’ इसके साथ ही ISRO ने कहा-  ‘तकनीकी दिक्कतों के कारण क्रायोजेनिक अपर स्टेज इग्निशन नहीं हुआ,  मिशन को मंशा के मुताबिक पूरा नहीं किया जा सका.’

बता दें अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (EOS) की मुख्य विशेषता यह है कि यह चिन्हित किये गए किसी बड़े क्षेत्र की वास्तविक समय की तस्वीर लगातार अंतराल पर भेजा करता. यह प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करता.यह उपग्रह कृषि, वानिकी, जल निकायों के साथ-साथ आपदा चेतावनी, चक्रवात निगरानी, बादल फटने या आंधी-तूफान की निगरानी सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग लाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देता.

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