इतिहास के पन्नों मे सोनिया और लालू के जाने कैसे थे रिश्ते !

इन दोनों नेताओ की मुलाकात ने देश की राजनीति को चौका तो जरूर दिया लेकिन एक समयू ऐसा भी था जब एक दूसरे के दुश्मन माने जाते थे

बीते रविवार को आरजेडी सूप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने सोनिया गांधी से मुलाकात की , इस मुलाकात के बाद लालू यादव ने अपने बयान मे ये भी कहा की विपक्षी एकजुटा अब दिखाने की जरूरत है , इन दोनों नेताओ की मुलाकात ने देश की राजनीति को चौका तो जरूर दिया लेकिन एक समयू ऐसा भी था जब एक दूसरे के दुश्मन माने जाते थे लालू और सोनिया , लेकिन 2024 मे बीजेपी को कमजोर करने के लिए इन दोनों की मुलाकात राजनीति मे बहुत माएने राखी है !

 

 

कैसे थे  लालू और सोनिया के रिश्ते 

लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी के सियासी दोस्ती को समझने के लिए जरा इतिहास के पन्ने को टटोलते हैं। साल 1988 में कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 1990 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए। बीजेपी के सहयोग से बिहार में जनता दल की सरकार बनी। उस समय जनता दल के राष्ट्रीय चेहरा और तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह चाहते थे कि बिहार में रामसुंदर दास को सीएम बनाया जाए, लेकिन चंद्रशेखर रघुनाथ झा को राज्य का मुखिया बनाना चाहते थे। इस विवाद को खत्म करने के लिए तत्कालीन डेप्युटी पीएम देवीलाल ने लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कर दी। बिहार विधानसभा में 39 सीटें जीतने वाली बीजेपी के समर्थन से 10 मार्च 1990 को लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। बीजेपी के सहयोगी से मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव ने 23 सितंबर 1990 को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोक दी। बतौर सीएम यह फैसला लेकर लालू यादव कांग्रेस के करीब पहुंच गए। यहीं से लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस की दोस्ती का सफर शुरू हुआ। दिलचस्प बात यह है कि लालू से दोस्ती शुरू होने के साथ ही कांग्रेस की राजनीतिक जमीन बिहार में खिसकने लगी। 1990 से पहले बिहार की सबसे मजबूत पार्टी लालू की परछाई बनी दिखने लगी। कांग्रेस+आरजेडी की दोस्ती के इस सिलसिले में कई बार दरारें आईं लेकिन वोटों के बिखराव को रोकने के लिए ये दोनों दल मजबूरी में ही सही लेकिन साथ मिलकर जनता के बीच जाते रहे।

 

लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी के सियासी दोस्ती को समझने के लिए जरा इतिहास के पन्ने को टटोलते हैं। साल 1988 में कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 1990 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए। बीजेपी के सहयोग से बिहार में जनता दल की सरकार बनी। उस समय जनता दल के राष्ट्रीय चेहरा और तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह चाहते थे कि बिहार में रामसुंदर दास को सीएम बनाया जाए, लेकिन चंद्रशेखर रघुनाथ झा को राज्य का मुखिया बनाना चाहते थे। इस विवाद को खत्म करने के लिए तत्कालीन डेप्युटी पीएम देवीलाल ने लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कर दी। बिहार विधानसभा में 39 सीटें जीतने वाली बीजेपी के समर्थन से 10 मार्च 1990 को लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। बीजेपी के सहयोगी से मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव ने 23 सितंबर 1990 को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोक दी। बतौर सीएम यह फैसला लेकर लालू यादव कांग्रेस के करीब पहुंच गए। यहीं से लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस की दोस्ती का सफर शुरू हुआ। दिलचस्प बात यह है कि लालू से दोस्ती शुरू होने के साथ ही कांग्रेस की राजनीतिक जमीन बिहार में खिसकने लगी। 1990 से पहले बिहार की सबसे मजबूत पार्टी लालू की परछाई बनी दिखने लगी। कांग्रेस+आरजेडी की दोस्ती के इस सिलसिले में कई बार दरारें आईं लेकिन वोटों के बिखराव को रोकने के लिए ये दोनों दल मजबूरी में ही सही लेकिन साथ मिलकर जनता के बीच जाते रहे।

लालू प्रसाद यादव और सोनिया गांधी के सियासी दोस्ती को समझने के लिए जरा इतिहास के पन्ने को टटोलते हैं। साल 1988 में कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद 1990 में बिहार विधानसभा के चुनाव हुए। बीजेपी के सहयोग से बिहार में जनता दल की सरकार बनी। उस समय जनता दल के राष्ट्रीय चेहरा और तत्कालीन प्रधानमंत्री बीपी सिंह चाहते थे कि बिहार में रामसुंदर दास को सीएम बनाया जाए, लेकिन चंद्रशेखर रघुनाथ झा को राज्य का मुखिया बनाना चाहते थे। इस विवाद को खत्म करने के लिए तत्कालीन डेप्युटी पीएम देवीलाल ने लालू प्रसाद यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की सिफारिश कर दी। बिहार विधानसभा में 39 सीटें जीतने वाली बीजेपी के समर्थन से 10 मार्च 1990 को लालू प्रसाद यादव पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। बीजेपी के सहयोगी से मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव ने 23 सितंबर 1990 को समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा रोक दी। बतौर सीएम यह फैसला लेकर लालू यादव कांग्रेस के करीब पहुंच गए। यहीं से लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस की दोस्ती का सफर शुरू हुआ। दिलचस्प बात यह है कि लालू से दोस्ती शुरू होने के साथ ही कांग्रेस की राजनीतिक जमीन बिहार में खिसकने लगी। 1990 से पहले बिहार की सबसे मजबूत पार्टी लालू की परछाई बनी दिखने लगी। कांग्रेस+आरजेडी की दोस्ती के इस सिलसिले में कई बार दरारें आईं लेकिन वोटों के बिखराव को रोकने के लिए ये दोनों दल मजबूरी में ही सही लेकिन साथ मिलकर जनता के बीच जाते रहे।

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