क्या है सेंगोल? जिसके नए संसद भवन में स्थापना के हैं बड़े चर्चे

नए संसद भवन के उद्घाटन से पहले ही इसको ले कर कई बड़े विवाद खड़े हो गए हैं। अब तक कुल मिलाकर 19 राजनैतिक दल इसके उद्घाटन में शामिल होने से अपना पांव पीछे खीच चुके हैं। इसी बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक नई जानकारी के साथ सामने आए हैं। उन्होंने बताया की नए संसद भवन के उद्घाटन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी। इसको लेकर अमित शाह ने एक प्रेस वार्ता भी बुलाई है। सेंगोल के पुराणिक परंपरा है, जिसको संसद भवन के उद्घाटन के साथ पुनर्जीवित किया जायेगा। इसी एतिहासिक परंपरा को सेंगोल कहा जाता है, ये युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है और इसका अर्थ संपदा से संपन्न होता है। अमित शाह ने बताया की सेंगोल को नए संसद भवन मे स्पीकर के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। संसद भवन में जिस सेंगोल की स्थापना होगी उसके शीर्ष पर नंदी विराजमान होंगी।

आखिर ये सेंगोल क्या होता है और इसका क्या महत्व है?

सेंगोल का इतिहास युगों पुराना है। भारत को आजाद करवाने के इसका बड़ा महत्व है। 14 अगस्त 1947 में जब भारत की सत्ता का हस्तांतरण हुआ, तो वो इसी सेंगोल द्वारा हुआ था। आप ऐसा समझे कि सेंगोल भारत की आजादी का प्रतीक है। उस समय सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। 1947 में जब लॉर्ड माउंट बेटन ने पंडित नेहरू से पूछा कि सत्ता का हस्तांतरण कैसे किया जाए। तो पंडित नेहरू ने इसके लिए सी राजा गोपालचारी से मशवरा मांगा। उन्होंने सेंगोल प्रक्रिया के बारे में बताया। इसके बाद इसे तमिलनाडु से मंगाया गया और आधी रात को पंडित नेहरु ने इसे स्वीकार किया। भाजपा की सरकार सेंगोल इसकी स्थापना पर काफी ज़ोर दे रही, बल्कि अभी विपक्ष से इसके लिए कोई नई गतिविधि सामने नही है, हालाकि विशेषज्ञ बता रहे है की यह राजनीति में एक विवादित विषय साबित होगा।

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