ये क्या हो रहा है गाजियाबाद की सियासत में ?

केंद्रीय मंत्री और पूर्व सांसद की गलबहियों से गाजियाबाद में सियासत गरमाई, विरोधी भाजपाइयों में खलबली

गाजियाबाद। केंद्रीय राज्य मंत्री एवं सांसद जनरल डॉ. वीके सिंह और इसी सीट पर चार बार सांसद रहे डॉक्टर रमेश चंद तोमर जिस तरह से एक साथ प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ से मिले हैं, उससे गाजियाबाद की भाजपा की सिसायत गर्मा गयी है। राजनीति के जानकार इसका अपने-अपने तरीके से सियासी मायने निकाल रहे हैं। सबसे ज्यादा वे लोग परेशान दिख रहे हैं जो वीके सिंह के 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने का सपना देख रहे थे। राजनीतिक समीक्षक वीके सिंह के इस कदम को जोर का झटका धीरे से दिया जाना मान रहे हैं।
दोनों सियासी धुरंदरों के मिलन के बाद जहां राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर आने वाले समय मे गाजियाबाद में भाजपा की राजनीत का क्या स्वरूप होगा। साथ ही केंद्रीय मंत्री को टारगेट करने वाले राज्यसभा सांसद व भाजपा नेताओं का क्या रुख होगा। इस पर भी चर्चा हो शुरू गई है।
पिछले दिनों के दौरान भाजपा में कुछ ठीक नहीं चल रहा है और भाजपाइयों के बीच सियासी जंग छिड़ी हुई है। जिसमें राज्यसभा सांसद पूर्व मंत्री व जनप्रतिनिधि जनप्रतिनिधि अपरोक्ष वीके सिंह को घेरने में लगे हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण समय देखने को मिला जब इन्होंने विधान परिषद सदस्य दिनेश गोयल के आवास पर जाकर महापौर के लिए महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा के नाम पर सहमती के नाम पर प्रस्ताव तैयार किया गया था। गाजियाबाद में भाजपा राजनीति में एकदम हड़कंप मच गया था । साथ ही काफी छीछालेदर दी हुई थी क्योंकि अगले ही दिन विधान परिषद सदस्य दिनेश गोयल ने इन लोगों पर कई तरह के गंभीर आरोप लगा दिए थे। मामला हाईकमान तक पहुंचा था हालांकि जनरल वीके सिंह इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बोले थे लेकिन उन्होंने यह संदेश दे दिया था कि राजनीति में वह किसी से कम नहीं है और गाजियाबाद वह जो चाहेंगे वही होगा।
अब उनकी राजनीतिक परिपक्वता का एक और उदाहरण सामने आया जब उन्होंने चार बार के संसद रहे डॉक्टर रमेश चंद तोमर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ मिलकर मिलकर गाजियाबाद के विकास के लिए चर्चा की। इस खबर के बाद गाजियाबाद की राजनीति में नया दौर शुरू हो गया। राजनीति समीक्षक कहते हैं कि आगे क्या होगा यह तो वक्त बताएगा लेकिन इतना तय है कि वीके सिंह यह संदेश देने में कामयाब हो गए हैं अपने विरोधियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम हो चुके हैं । हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भी उनके खिलाफ माहौल बनाने का असफल प्रयास किया था। माहौल बनाने वालों में यही गुट शामिल था। इस गुट ने वीके सिंह का हाईकमान ने विरोध किया था और उनको टिकट दिये जाने का विरोध किया था लेकिन वीके सिंह ने पुनः टिकट हासिल कर सबका मुंह बंद कर दिया था और जो उनके विरोधी थे टिकट मिलने के बाद उन्हीं के लिए वोट मांगते नजर आए थे।
वीके सिंह का साथ मिलने से डॉक्टर रमेश चंद तोमर पूरी तरह से रिचार्ज हो चुके हैं । उनका कहना है कि वह और डॉ वीके सिंह का जो मिलन हुआ है उससे गाजियाबाद के विकास को चार चांद लगाएंगे । दोनों मिलकर गाजियाबाद की जनता और गाजियाबाद के विकास के लिए बढ़-चढ़कर काम करेंगे। ठोस रणनीति बनाकर ज्यादा से ज्यादा काम होगा। डॉक्टर रमेश चंद तोमर कहते हैं कि अब उनका वीके सिंह जी के साथ मिलकर प्रयास होगा कि गाजियाबाद की जनता को जबरदस्त विकास मिले। सड़कें चौड़ी हो, खेल स्टेडियम हो, कमिश्नरेट जो हाल ही में सृजित की गई है उसको बेहतरीन ढंग से लागू कराया जाए ताकि शहर में कानून व्यवस्था बिल्कुल बेहतरीन हो सके। उधर राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि जिस तरह से यह दो बड़े दिग्गजों का मिलन का निश्चित तौर पर न केवल गाजियाबाद बल्कि पश्चिम उत्तर प्रदेश के भाजपा राजनीति पर सकारात्मक असर पड़ेगा। कहीं ना कहीं भाजपा को इसका लाभ होने का संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता । 2024 के लोकसभा चुनाव पर इस एकीकरण का सकारात्मक का असर दावा भी राजनीतिक समीक्षक कर रहे हैं। अब यह तो वक्त बताएगा कि आगे क्या होने वाला है लेकिन राजनीतिक समीक्षकों की माने तो इन दोनों दिग्गजों के मिलन से विरोधियों खलबली का माहौल है।

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