विस चुनाव: मथुरा की इस सीट को लेकर मचा घमासान, एसके शर्मा चुनाव लड़ने का किया ऐलान

बीजेपी के बागी नेता एसके शर्मा ने चुनाव लड़ने का किया ऐलान

लखनऊ: यूपी चुनाव के तारीखों के ऐलान के बाद उत्तर प्रदेश की सियासत गरमा गई है. पार्टी के नेता लगातार अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जरी कर रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के बागी नेता एस के शरमा ने बसपा की टिकट पर मथुरा वृन्दावन से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. एसके शर्मा ने अपनी जीत का ठोस दावा करते हुए कहा है कि बीते 5 साल में बीजेपी उम्मीदवार के व्यवहार व काम से जनता उनको ठीक तरह से पहचान चुकी है. शर्मा के मथुरा वृंदावन विधानसभा से चुनाव मैदान में उतरने पर अब इस सीट पर जो लड़ाई आमने-सामने की समझी जा रही थी, अब वह त्रिकोणात्मक हो जाएगी. बता दें बीजेपी के बागी नेता एसके शर्मा 20 जनवरी को नामांकन दाखिल करेंगे.

मंगलवार को एसके शर्मा ने दिया था इस्तीफा

भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज हुए एसके शर्मा ने मंगलवार को बीजेपी को छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया. एसके शर्मा इमोशनल होकर पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा था कि उनके साथ विश्वासघात किया गया है. फूट-फूटकर रोते हुए उन्होंने वर्तमान परिस्थितियों में नए राजनीतिक सफर के लिए समर्थकों के साथ फैसले लेने की बात कही थी. बीजेपी पार्टी छोड़ते ही उनके घर पर लगे पार्टी झंडे को भी उतार दिया गया.

एसके शर्मा ने कहा उनके साथ हुआ विश्वासघात

भाजपा नेता एसके शर्मा ने बताया कि उनके साथ पार्टी के चंद लोगों ने विश्वासघात किया है. पहले वह चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन चुनाव की तैयारी करने के निर्देश मिले थे. अब चुनाव से पहले टिकट नहीं दिया. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. 1989 में वह बंगाल चले गए. 2007 से मथुरा आकर भाजपा में एक्टिव हो गए. पार्टी के आदेश का ईमानदारी और निष्ठा से पालन किया. पार्टी से कुछ मांगा तक नहीं. पार्टी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया. उन्होंने कहा इतने त्याग और बलिदान के बाद भी मेरे साथ धोखा हुआ.

एमएलसी का वादा करने का लगाया आरोप

बीजेपी नेता एसके शर्मा के मुताबिक पार्टी ने एमएलसी से वादा किया था, नहीं निभाया. अब टिकट देने का वादा भी नहीं निभाया. पिछले विधानसभा चुनाव में जब मांट में मेरी कोई तैयारी नहीं थी, तो पार्टी का आदेश मानकर चुनाव लड़ा. लगभग 60 हजार वोट मिले. अब मेरा कसूर बताइए. अब मैं पार्टी से त्यागपत्र दे रहा हूं. भाजपा में चरित्र, नैतिकता, सिद्धांत समाप्त हो गया है. जिन लोगों को टिकट दी गई है, उन्होंने पार्टी के खिलाफ काम किया था.

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