क्या यूपी में सिपाहियो को कोरोना टेस्ट कराने के लिए “ऊपर से मना किया गया है?” यूपी में कोरोना टेस्ट का भंडाफोड़

फ़िरोज़ाबाद में एक पुलिसकर्मी को अपनी कोरोना रिपोर्ट करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा जिसका वीडियो अब निकल कर आया है। इस वीडियो में पुलिस विभाग और स्वास्थ्य विभाग दोनो पर बड़े सवाल खड़े होते है। हालांकि सिपाही की जांच हुई जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई जिसके बाद कुछ ऑडियो भी वायरल हुई। इनमे से एक ऑडियो सिपाही और उसके सीनियर ऑफिसर के बीच का भी है। जिसमे बड़े सवाल प्रसासन पर खड़े होते है

यह खबर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। दरअसल थाना शिकोहाबाद में एक सिपाही तैनात है और मजदूरों के घर वापसी के कार्य मे लगा हुआ था। उसे खाँसी और सांस लेने में दिक्कत हुई तो उसने अपने थाना प्रभारी से कहा जब उसने नही सुनी तो सीओ से कहा, फिर भी उसको सीधा अस्पताल का रास्ता बताया गया। सिपाही जिला अस्पताल आया उसने पता किया कि कोविड 19 की जांच कहा होगी। वो इस जांच के लिए घण्टे भर में चकरघननी बन गया पर उसका टेस्ट नही हुआ। थक हारकर वो अस्पताल में अपने टेस्ट के लिए गुहार लगाने लगा। पर डॉक्टर ने थर्मल स्केनिंग के बाद उसे ठीक कहकर वापस जाने को कहा पर सिपाही ने कहा नही उसका कोरोना टेस्ट हो वो साँस भी नही ले पा रहा है। जब बवाल बढ़ा तब उसका टेस्ट हुआ जिसकी रिपोर्ट आज पॉजिटिव आई।

तब पुलिस विभाग और स्वास्थ विभाग दोनो में हड़कम्प मचा और सवाल स्वास्थ विभाग पर खड़े हो गए। अगर कोई पेसेंट कह रहा था तो उसको परेशान क्यो किया गया ? इसका जवाब सीएमएस ने दिया और बताया अस्पताल में सीएमओ आफिस से कोड आता है तब यहाँ जांच होती है। अगर कोई विभागीय व्यक्ति की जांच होती है तो उसके सीनियर एक लेटर देते है जिसपर कोड मंगवाया जाता है। तब उसकी जांच होती है बिना कोड के जाँच नही की जाती।

वही इन सब के बीच एक ऑडियो सिपाही और डॉक्टर के बीच बातचीत का आया जिसमे सिपाही ने डॉक्टर से कहा “आप तो कह रहे थे मैं सही हु पर मेरी रिपोर्ट तो पॉजिटिव आई अगर मैं आपकी बात मान लेता तो न जाने कितने लोगो को मरीज बना देता” जिस पर डॉक्टर ने कहा ठीक है ठीक है।

ऐसी ही ऑडियो क्लिप सिपाही और उसके सीनियर ऑफिसर की है जो अस्पताल में किये गए बवाल के बाद कि है। उसमें ऑफिसर कह रहा है “जांच न हो ये ऊपर से मना किया गया है जैसे शब्द सुनाई देते है” जिसमे सीओ शिकोहाबाद तक का जिक्र है।

पर इन सब के बीच अपनी गलती को छिपाने वाली पुलिस को शर्म नही आई। जिन सिपाही को सबसे आगे कर जो युद्ध लड़ा जा रहा है उनके कहने पर एक लेटर तक नही दिया जा सका और प्रसासन ने तो हद तब कर दी जब सीओ ने बिना किसी मुद्दे पर बात करते हुए बस इतना ही कहा कि एक सिपाही नेत्रपाल उनका कोरोनावायरस टेस्ट पॉजिटिव आया है।

अब सवाल उठता है क्या ऑडियो में एक ऑफिसर के द्वारा रिपोर्ट न होने वाली बात सही है? क्या अब खुद पुलिस विभाग डर रहा है कि उनके लोगो की सही जांच हो या कहि गूगल कोड के आड़ में आकड़ो को सही करने का काम तो नही चल रहा ? सवाल बहुत है पर इनका जवाब जिले के किसी अधिकारी के पास नही।

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