अखिलेश यादव बना रहे है अपनी नई टीम, जानिए क्या है मामला

चुनाव में हार के बाद संगठन को जिम्मेदार बनाए जाने की पुरानी रवायत है, हालांकि इससे नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा।

सपा की प्रदेश इकाई के एकमात्र पदाधिकारी व प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने शनिवार को एक पत्र जारी किया, जिसमें निकाय चुनाव के खर्च की नई सीमा व प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है। यह पत्र जिन्हें संबोधित है, वे सभी निवर्तमान जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष एवं प्रकोष्ठों के निर्वतमान पदाधिकारी हैं। इससे पहले उन्हें निकाय चुनाव की तैयारियों से जुड़े दूसरे निर्देश भी गए गए थे। पार्टी में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं कि जिनका खुद का वर्तमान तय नहीं है वे आखिरी पार्टी का सियासी भविष्य तय करने में कितने प्रभावी साबित होंगे और उनकी नीचे सुनवाई कितनी होगी?

इस विधानसभा चुनाव के नतीजे सपा की उसकी उम्मीदों के खिलाफ गए। पार्टी को दूसरा बड़ा झटका जून में रामपुर व आजमगढ़ में हुए लोकसभा उपचुनाव में लगा। हार के बाद अखिलेश ने प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर प्रदेश से लेकर जिला इकाई तक के सभी पदाधिकारी हटा दिए। सभी प्रकोष्ठों की भी राष्ट्रीय व प्रदेश टीम भंग कर दी गई। प्रदेश में टीम के नाम पर सपा में इकलौते पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम बने हुए हैं। उनकी कुर्सी हार के हर झटके के बाद बच जाती है।

संगठन के बिना ही फतह के मंसूबे
सपा में संगठन भंग हुए दो महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक इसके गठन की तस्वीर साफ नहीं है। इस बीच सदस्यता अभियान जरूर शुरू हुआ है। पार्टी नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई है। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले निकायों चुनाव को इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा बसपा व कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल इसमें जोर आजमाइश करेंगे। लिहाजा इसमें पार्टियों के प्रदर्शन व नतीजे लोकसभा चुनाव के पहले उनकी उम्मीद व निराशा दोनों से जुड़ेंगे। सपा यह पूरी लड़ाई बिना संगठन के लड़ रही है।
हार का सेहरा संगठन के सिर
चुनाव में हार के बाद संगठन को जिम्मेदार बनाए जाने की पुरानी रवायत है, हालांकि इससे नतीजों पर कोई असर नहीं पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनाव में सपा पांच सीटों पर सिमट गई थी। इसके तुरंत बाद प्रदेश अध्यक्ष को छोड़कर सभी पदाधिकारी हटा दिए गए थे। 36 दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री भी बर्खास्त किए गए। नए पदाधिकारी तय करने में लंबा वक्त लगा, फिर सपा के शीर्ष परिवार में ही घमासान शुरू हो गया। इसका असर नतीजों पर भी दिखा व पार्टी 47 सीट पर निपट गई।

2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के गठबंधन के बाद भी किस्मत नहीं बदली। नतीजों के दो महीनों बाद प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को छोड़ सभी पदाधिकारी हटा दिए गए। 2022 के लिए सपा मुखिया ने 351 सीटों का लक्ष्य रखा, लेकिन, पार्टी दो साल से अधिक समय तक बिना प्रदेश कार्यकारिणी के ही चलती रही। विधानसभा चुनाव की घोषणा के तीन महीने अखिलेश प्रदेश की टीम बना पाए थे।

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