क्या सपा के इस नेता को मिलेगा भारत रत्न, जानिए क्या है पूरा मामला!

सपा नेता ने कहा कहा, 'मैंने कलम दिया है हाथ में, आपने चाकू दिया है हाथ में बस यही फ़र्क है. आपकी और हमारी सोच में.

समाजवादी पार्टी के नेता आज़म खान ने बिना नाम लिए मुख्यमंत्री योगी पर पलटवार किया है. आजम खाम ने कहा है कि जो लोग आज मुझे माफ़िया और मुजरिम कहते हैं मेरे मरने के बाद मुझे भारत रत्न देंगे. सपा नेता ने कहा कहा, ‘मैंने कलम दिया है हाथ में, आपने चाकू दिया है हाथ में बस यही फ़र्क है. आपकी और हमारी सोच में. चाकू चाकू रहेगा और कलम कलम रहेगा. कल चाकू रोज़ी कमाने वालों के हाथ में था. आज चाकू आपने सत्ताधारी लोगो के हाथ मे दे दिया है. मतलब सब जानते हैं.’

आजम खान ने रामपुर को 72 करोड़ की योजनाओं की सौगात मिलने पर कटाक्ष करते हुए कहा 72 करोड़ की सौगात मिली है. मेरे सरकार में हर मोहल्ले में 100 करोड़ से कम का काम नहीं हुआ है. एक सड़क टांडा से लेकर उत्तराखंड तक110 करोड़ की थी. रामपुर बदल रहा है रामपुर में क्या-क्या बदला ऐतिहासिक गांधी समाधि जो राष्ट्रीय नहीं अंतरराष्ट्रीय धरोहर है. नेशनल लेवल का गेस्ट हाउस एक मोहम्मद अली जौहर रोड पर और दूसरा जौहर यूनिवर्सिटी के बराबर में को कोऑपरेटिव बैंक इस खादिम की देन है. अंबेडकर पार्क इस खादिम की देन है.

आजम खान ने कहा- रामपुर का जिला अस्पताल जिसमें उस वक्त ऑक्सीजन का इतना इंतजाम किया गया था. जब लोगों के जेहन में यह विचार भी नहीं था कि पूरा मंडल ऑक्सीजन लेने के लिए रामपुर आएगा. पुलिस लाइन से पहले रोक दी गई इमारतें जहां पूरे देश का ट्रेनिंग सेंटर बनना था रुका हुआ है. मोहल्ले के अंदर जहां लोग सोच नहीं सकते थे. वहां बड़े-बड़े पार्कों का निर्माण कराया आजम खान ने अपने द्वारा कराए गए विकास कार्यो को गिनाते हुए योगी सरकार पर हमला बोला.

आजम खान ने कही ये बड़ी बात

आजम खान ने रामपुर की जमीन की कीमत दिल्ली के कनॉट प्लेस से ज्यादा कीमती बताई. उन्होंने कहा- हो सकता है मेरे जीवन में यह संभावना हो. लेकिन मैं यकीन के साथ कह सकता हूं मेरे मरने के बाद 2 साल बाद 10 साल बाद वही लोग जो मुझे आज माफिया और मुजरिम कहते हैं इन्हीं कुर्सियों पर बैठे हुए लोग मुझे भारत रत्न देंगे. आजम खान ने कहा यहां मैंने कोई शराब खाना नहीं खोला कोई गलालत खाना नहीं खोला. कोई अय्याशी और आवारगी का अड्डा नहीं खोला. यह मैंने आपके बच्चे बच्चियों के लिए सीबीएसई बोर्ड का स्कूल खोला जिसमें बच्चे बच्चियों के मां बाप नहीं है तो उनकी सारी फीस माफ रहेगी उन्हें ट्रस्ट साल में दो ड्रेस देगा उनकी शिक्षा पूरी तरह से मुक्त होगी.

आजम खान ने कहा हमारा वह नारा कामयाब है केजी टू पीजी जो बच्चा मां की कोख से पैदा होता है. उसे पीएचडी की डिग्री देकर मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रुखसत करती है. यह हुआ है विनाश और इन करतूतों की सजा मिल रही है. हमें. इनको कुकर्मों की सजा मिल रही है. हमें मुझे अफसोस है बहुत बड़े लोगों ने बहुत हल्के शब्दों का इस्तेमाल किया है हमारे कुकर्म आपके सामने हैं. पौने दो बीघा जमीन के लिए हमें माफिया कहा गया जिसके लिए आज भी हम कहते हैं जहां वह जमीन है ले ली जाए.

आजम खान ने कहा- मैं मेरा परिवार और मेरे लोग सैकड़ों हजारों मुकदमे भी फेस कर रहे हैं क्या इससे ज्यादा भी कोई शर्मनाक बात हो सकती है व्यवस्था के लिए कि मैंने वजीर रहते हुए चौथी बार बीबी जो असिस्टेंट प्रोफेसर से रिटायर हुई है जो राज्यसभा की सदस्य रही और एमएलए भी रही. मैंने और बीवी ने शराब की दुकान लूटी शराब की बोतलें लूटी और ₹16900 गल्ले से डाका मारा क्या यही स्तर होगा राजनीतिक का.

सीएम योगी पर किया पलटवार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रामपुरी चाकू वाले बयान पर पलटवार करते हुए सपा नेता आजम खान ने कहा- मुझे यह अफसोस है कि जिम्मेदारों ने यह कहा कि एक हाथ से चाकू लेकर दूसरे हाथ में दे दिया गया मैं शब्द ब शब्द कह रहा हूं एक हाथ से लेकर चाकू दूसरे हाथ में दे दिया गया. मैंने कलम दिया है हाथ में आप ने चाकू दिया है हाथ में. बस यही फर्क है आपकी और हमारी सोच का मैंने कलम दिया है आपने चाकू का हाथ बदला है लेकिन दिया आपने चाकू है लोग नारा लगाते हैं शेर ए हिंद जिंदाबाद शेरे उत्तर प्रदेश जिंदाबाद लेकिन बताते हैं. यह व्यक्ति इंसान नहीं है जानवर है क्योंकि बरहाल शेर भी जानवर है. आजम खान ने कहा- चाकू चाकू रहेगा और कलम कलम रहेगा कल उन कम चोरों के हाथ में चाकू था जो उससे रोजगार कमाते थे आज वह चाकू आपने सकता धारियों के हाथों में दे दिया है मतलब सबको मालूम है क्या हाल होगा.

आजम खान बोले- यह गलियां, यह सड़कें मुझे याद रखेंगी

विनाश का एक ऐसा इतिहास लिखा जा रहा है, हम रहे ना रहे- यह गलियां यह सड़कें यह इमारतें यकीनन इन्हें याद करेगी. उन्होंने कहा डिवाइडर पर रंग हुआ है नाम बदले गए हैं. अपमान हुआ है उन नामों का कस्तूरबा गांधी पक्षी विहार का नाम बदलना कस्तूरबा गांधी का अपमान नहीं है बल्कि उसका उसका अपमान है. जिसका नाम डाला गया है जिन बड़े दरवाजों के नाम बदले गए हैं और दूसरों के नाम लगाए गए हैं उनका अपमान हुआ है. उनका अपमान नहीं हुआ है क्योंकि ना कल वह दुनिया में थे ना आज इस दुनिया में है. उनकी महानता की बुनियाद पर उनके नाम रखे गए थे. अगर नाम रखना ही थे तो नई यादगारे बनाई होती हम भी मुबारकबाद देते आप उनका उद्घाटन करने आते तो हम भी शरीक होते लेकिन हमारी बनाई भी चीजों पर दूसरों के नाम लिख देने से उनका सम्मान नहीं बढ़ा बल्कि उनका अपमान हुआ है. अगर कभी हमको फिर सत्ता मिली तो जिन लोगों का अपमान हुआ है उन्हें भी सम्मान दिया जाएगा.

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