बड़ी कार्रवाई: BJP महामंत्री ने 15 हजार निवेशकों से 100 करोड़ ठगे, ससुरालियों और सगे साढ़ू को भी नहीं बख्शा

उत्तर प्रदेश के बरेली और बदायूं जिलों में फैले एक बड़े वित्तीय घोटाले ने हड़कंप मचा दिया है। अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड नामक एक फाइनेंस कंपनी ने मोटे मुनाफे का सपना दिखाकर हजारों लोगों से करीब 100 करोड़ रुपये जमा कराए और जब लौटाने की बारी आई, तो कंपनी के निदेशक और एजेंट रफूचक्कर हो गए। खास बात यह है कि इस घोटाले में शामिल एक आरोपी सूर्यकांत मौर्य भाजपा बरेली महानगर का महामंत्री था, जिसे अब पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
भाजपा नेता सूर्यकांत मौर्य पर गिरी गाज
बरेली भाजपा की महानगर इकाई के महामंत्री रहे सूर्यकांत मौर्य को पार्टी ने शनिवार को सभी दायित्वों से मुक्त कर दिया है। भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना ने बताया कि “कतिपय कारणों से सूर्यकांत मौर्य को पार्टी की सक्रिय सदस्यता से बाहर कर दिया गया है।” सूर्यकांत के खिलाफ बदायूं कोतवाली में दर्ज एफआईआर और कंपनी के निवेशकों से धोखाधड़ी की खबरों के बाद यह कार्रवाई की गई है।
15 हजार निवेशकों से 100 करोड़ की ठगी
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड ने मोटे रिटर्न का लालच देकर करीब 15,000 निवेशकों से 100 करोड़ रुपये जमा करवाए। निवेशकों को कई वर्षों तक नियमित भुगतान कर कंपनी ने विश्वास अर्जित किया और फिर अचानक अपना दफ्तर बंद कर फरार हो गई। यह फाइनेंस कंपनी बदायूं और बरेली में सक्रिय थी और उसका मुख्य दफ्तर कटरा चांद खां, बरेली में था।
बदायूं कोतवाली में एफआईआर, एसआईटी कर रही जांच
बदायूं कोतवाली में कंपनी के निदेशक शशिकांत मौर्य, उनके भाई सूर्यकांत मौर्य, मैनेजर अमित सिंह, एजेंट सुनील बाबू मौर्य और अन्य के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जो इस ठगी से जुड़े हर पहलू की जांच कर रही है।
रिश्तेदार भी ठगी के शिकार, साढ़ू से ठगे ढाई करोड़
सूर्यकांत और शशिकांत मौर्य ने सिर्फ आम जनता को ही नहीं, बल्कि अपने रिश्तेदारों को भी निशाना बनाया। बरेली निवासी संतोष मौर्य, जो सूर्यकांत के सगे साढ़ू हैं, ने बताया कि उन्होंने अपनी जमीन बेचकर दो करोड़ रुपये निवेश किए थे। इसके अतिरिक्त उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी 50 लाख रुपये दिए थे। बाद में जब उन्होंने रकम मांगी, तो उन्हें डेढ़ करोड़ रुपये के चेक दिए गए, जो बाउंस हो गए क्योंकि खातों में कोई रकम नहीं थी।
ससुराल वालों को भी नहीं बख्शा
संतोष मौर्य के अनुसार, सूर्यकांत मौर्य ने उनके ससुराल पक्ष को भी निवेश के नाम पर लाखों रुपये का चूना लगाया। विश्वास के नाम पर रकम ली गई और बाद में संपर्क से बाहर हो गए। यह स्पष्ट करता है कि आरोपियों ने योजना बनाकर परिजनों को भी अपने जाल में फंसाया।
दूसरे लोगों के नाम पर खरीदी संपत्तियां, प्लानिंग थी जब्तियों से बचने की
सूत्रों के मुताबिक, मौर्य बंधु पिछले पांच सालों से इस योजना को अंजाम दे रहे थे। वे जानते थे कि भविष्य में अगर मामला फंसेगा तो सरकार संपत्ति जब्त कर सकती है। इसी आशंका से उन्होंने नोएडा, गुरुग्राम और अन्य शहरों में अपने रिश्तेदारों के नाम पर संपत्ति खरीदी। साथ ही एनसीएलटी कोर्ट में दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।
एसआईटी एजेंटों और अन्य सहयोगियों की तलाश में
मामले की जांच कर रही एसआईटी अब कंपनी के खास एजेंटों और सहयोगियों की तलाश कर रही है, जिन्होंने निवेशकों से रकम जुटाने में अहम भूमिका निभाई। बरेली और बदायूं में निवेशकों में रोष है और वे अपनी गाढ़ी कमाई को लेकर चिंतित हैं।
जनता से विश्वासघात और राजनीतिक शर्मिंदगी
अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड मामला सिर्फ एक वित्तीय धोखाधड़ी नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर विश्वासघात का मामला बन गया है। भाजपा द्वारा सूर्यकांत मौर्य को बाहर करना भले ही राजनीतिक सफाई हो, लेकिन इससे हजारों निवेशकों का दर्द कम नहीं होता। अब देखना है कि पुलिस और प्रशासन इस ठगी के नेटवर्क को कितनी गहराई से उजागर कर पाते हैं।