दलित, पिछड़ा और मुस्लिम को एक साथ लाने में जुटीं मायावती, जानें- क्या है BSP का प्लान?

मैनपुरी और खतौली के परिणाम को देखने के बाद मायावती ने बड़ा बदलाव किया है. हालांकि राजभर वोट बिदकने न पाए, इसके लिए उन्होंने भीम राजभर को बिहार का कोर्डिनेटर बनाकर इस वोट बैंक को सहेजने का बड़ा प्रयास किया है.

बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) आने वालों चुनावों को देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष बदलकर दलित, पिछड़ा और मुस्लिम कॉम्बिनेशन बनाकर एक साथ लाने की जुगत में लगी है. शायद इसलिए उन्होंने नया प्रदेश अध्यक्ष का दांव खेलने का प्रयास किया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो मायावती ने लोकसभा चुनाव से पहले अयोध्या में भव्य राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के सहारे भगवा वोटबैंक बढ़ाने की बीजेपी की रणनीति को निशाने पर लिया है. वहीं अयोध्या से ओबीसी जाति के व्यक्ति को अध्यक्ष बना कर बीजेपी के सहयोगी अपना दल (एस) और निषाद पार्टी को भी मजबूती से घेरने की कोशिश की है. दूसरी ओर ओबीसी के जरिए बसपा ने सपा को भी चुनौती देने का प्रयास किया है. हालांकि इससे पहले भी अति पिछड़ा राजभर समाज से बसपा का अध्यक्ष था.

मैनपुरी और खतौली के परिणाम को देखने के बाद मायावती ने बड़ा बदलाव किया है. हालांकि राजभर वोट बिदकने न पाए, इसके लिए उन्होंने भीम राजभर को बिहार का कोर्डिनेटर बनाकर इस वोट बैंक को सहेजने का बड़ा प्रयास किया है. बसपा रणनीतिकारों की मानें तो पाल या अन्य पिछड़ा समुदाय को अपने पाले में लाकर बीजेपी के वोट बैंक में बड़ी आसानी से सेंधमारी की जा सकती है. 2022 के विधानसभा चुनाव पार्टी को एक सीट मिलने के बावजूद भी बसपा ने भीम राजभर को पार्टी से नहीं हटाया था. यहां तक कि खुद भीम राजभर भी मऊ से चुनाव हार गए थे. बसपा मुखिया ने उनके प्रति अपना विश्वास जमाए रखा. अब जब निकाय चुनाव की हलचल और लोकसभा की तैयारी के बीच उन्होंने यह बड़ा कदम उठा लिया.

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