उत्तरकाशी में बहते दिखे लोग: इस वीडियो के हिसाब से आंकड़ा सैकड़ों में.. अबतक 4 की मौत, 60-70 लापता..

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार (5 अगस्त) को अचानक बादल फटने से भारी तबाही मच गई। इस जलप्रलय ने चंद मिनटों में गांव को मलबे और तेज बहाव वाले पानी से ढंक दिया। अब तक 4 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि कई लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है। वहीं, चिंताजनक बात ये भी है कि 50 से ज्यादा लोग लापता हैं। स्थानीय प्रशासन, सेना, ITBP, SDRF और NDRF की टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं।

वीडियो में कैद हुआ मौत का सैलाब

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह लोग होटलों और गेस्ट हाउस से जान बचाकर भागने की कोशिश कर रहे हैं। वीडियो में रिकॉर्ड कर रहा व्यक्ति बार-बार चिल्लाता है—“भागो रे भागो!”—लेकिन तेज बहाव में कई लोग बह जाते हैं। कुछ ही पलों में पानी, मलबा और कीचड़ की दीवारें इमारतों और लोगों पर टूट पड़ती हैं। ऐसा लग रहा है जैसे नदी गली-गली में घुस आई हो।

“दम घुट रहा था, कोई नहीं समझ पाया क्या हो रहा है”

वीडियो में साफ़ सुना जा सकता है कि लोग चीख रहे हैं, दम घुटने की शिकायत कर रहे हैं, और अपने परिजनों को कॉल करने की कोशिश कर रहे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, 20 से 25 होटल और होमस्टे पूरी तरह बह गए हैं। लोगों को संभलने का समय तक नहीं मिला। बाजार, दुकानें, निर्माणाधीन ढांचे और वाहन भी पानी की चपेट में आ गए।

चार की मौत, 12 तक दबे हो सकते हैं

उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मीडिया को बताया कि अब तक 4 मौतों की पुष्टि हो चुकी है और 10 से 12 लोग अब भी मलबे में फंसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में नेटवर्क पूरी तरह ठप हो गया है, जिससे सही जानकारी मिलने में कठिनाई हो रही है। राहत-बचाव के लिए हर्षिल से आर्मी की टीम, ITBP की दो टीमें, SDRF और NDRF मौके पर पहुंच चुकी हैं। देहरादून, मनैरा और बड़कोट से भी तीन अतिरिक्त टीमें रवाना की गई हैं।

पीएम मोदी ने जताया दुख, प्रशासन ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरकाशी हादसे पर गहरा शोक जताया है और पीड़ितों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने राहत और बचाव के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं:

📞 01374-222126

📞 01374-222722

📞 9456556431

साथ ही जिला आपातकालीन संचालन केंद्र (DEOC) को सक्रिय कर दिया गया है, जो आपदा प्रबंधन और समन्वय का कार्य कर रहा है।

“1978 की बाढ़ से भी बड़ी तबाही”: प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी

एक स्थानीय निवासी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि दोपहर करीब 1:30 बजे अचानक फ्लड आ गया, जिससे धराली में भारी तबाही मची है। उन्होंने बताया, “करीब 60 से 70 लोगों का कोई अता-पता नहीं है। संपर्क नहीं हो पा रहा है। मैं अपने गांव मुखवा से यह खौफनाक नजारा देख रहा हूं।” उन्होंने 1978 में 5 अगस्त को कंजोडिया में आई बाढ़ का ज़िक्र करते हुए कहा, “उस बाढ़ को भी मैंने देखा था, लेकिन धराली में जो आज हुआ, वो कहीं ज्यादा खतरनाक था।”

क्या था “खीर गाढ़ गधेरा” का असर?

धराली में बहने वाला “खीर गाढ़ गधेरा” इस तबाही का मुख्य कारण बना। अचानक इसमें आई तेज़ बाढ़ ने सड़क किनारे के होटल, लॉज, रेस्टोरेंट और घरों को जड़ से उखाड़ दिया। मलबे और कीचड़ ने रास्ते बंद कर दिए और नदी जैसे गांव के अंदर घुस आई। प्रशासन को मलबा हटाने और लापता लोगों की तलाश में भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।

राहत कार्य जारी, लेकिन खतरा टला नहीं

उत्तरकाशी की यह घटना महज एक प्राकृतिक आपदा नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन और निर्माण की अनियंत्रित गतिविधियां किस हद तक जानलेवा हो सकती हैं। फिलहाल प्रशासन, सेना और आपदा राहत टीमें राहत कार्यों में जुटी हैं, लेकिन लापता लोगों की तलाश और पुनर्वास की राह लंबी होगी।

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